किसानों के हित की कोरी बातें

किसानों के हित की कोरी बातें
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
शिवराज सिंह चैहान और उसके पूर्व की कमलनाथ सरकार दावा भले ही किसानों के हित का करती रही
हैं लेकिन किसान अगर फसल खराब होने पर आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं तो यही कहा जाएगा
कि ये सब कोरी बातें हैं। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के गृह जिले सिहोर में एक किसान ने फसल खराब
होने पर आत्महत्या कर ली। प्रदेश के बड़े हिस्से में पूर्व में ही सोयाबीन की फसल खराब हो चुकी है और
अब अतिवर्षा व बाढ़ से भी करीब 15 लाख हेक्टेयर फसल प्रदेश के बाढ़ प्रभावित विभिन्न जिलो में
खराब हुई है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अब 27 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। उपचुनाव से पहले
कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर जुबानी हमलावर हैं। साथ ही आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी जारी है।
कांग्रेस को सत्ता में फिर से वापसी और बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए 27 में से ज्यादा से ज्यादा
सीटों पर जीत जरूरी है। इसके तहत ही दोनों दल जीत के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। जाहिर है कि
किसानों की समस्याओं की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। इस बीच चिंताजनक एक और बात सामने
आयी है। राज्य में अवैध हथियार और ब्राउन शुगर की तस्करी बढ गयी है। इसका भी संबंध उपचुनाव से
जोड़ा जा रहा है।
मध्य प्रदेश में खराब फसल के चलते किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी। कांग्रेस कमेटी के
अध्यक्ष कमलनाथ के बाद अब पूर्व सीएम व कांग्रेस कोटे से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सीएम
शिवराज सिंह चैहान पर इसी संदर्भ में निशाना साधा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान
के गृह जिले में एक किसान का आत्महत्या मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सीहोर जिले के किसान
बाबूलाल का शव पिछले दिनों पेड़ से लटका मिला था। कहा जा रहा है कि कर्ज व फसल खराब होने से
परेशान होकर किसान ने आत्महत्या की है। हालांकि, इसको लेकर सीएम शिवराज ने अलग ही कारण
बताया है।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट कर लिखा- सीएम के गृह जिले में किसान ने आत्महत्या की।
पूरा जिला प्रशासन मामा जी की सेवा में लगा है न किसानों का सर्वे हो रहा है और न मुआवजा मिल
रहा। बीमा की तो उम्मीद ही छोड़ दो क्योंकि मामा और उसके कृषि मंत्री में कंपनियों से कमीशन को ले
कर विवाद चल रहा है।सीएम शिवराज सिंह चैहान ने कमलनाथ को इसका जवाब भी दिया है। पूर्व
सीएम कमलनाथ ने सीहोर में किसान के आत्महत्या मामले में सीएम शिवराज सिंह चैहान पर गंभीर
आरोप लगाए थे। इसके बाद सीएम शिवराज ने ट्वीट कर उन्हें जवाब दिया था। सीएम शिवराज ने उन्हें
ओछी राजनीति नहीं करने की बात कही थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब 27 सीटों पर उपचुनाव

होने हैं। उपचुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर जुबानी हमलावर हैं। साथ ही आरोप-
प्रत्यारोपों का दौर भी जारी है। कांग्रेस को सत्ता में फिर से वापसी और बीजेपी को सत्ता में बने रहने के
लिए 27 में से ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत जरूरी है। इसके तहत ही दोनों दल जीत के लिए पूरी
ताकत लगा रहे हैं।
उपचुनाव से पहले लक्जरी कार से अवैध हथियार और ब्राउन शुगर की तस्करी में 7 लोगों की
गिरफ्तारी से एक अलग प्रकार की चिंता पैदा हुई है।ग्वालियर के एसपी अमित सांघी को खबर मिली थी
कि एक लक्जरी कार से हथियारों की बड़ी खेप चंबल पहुंचने वाली है। इसके बाद पुलिस ने योजना
बनाकर कार्रवाई की। इसका मतलब यह लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में उप चुनाव से पहले
ग्वालियर चंबल अंचल में अवैध हथियारों की आवक शुरू हो गई है। खास बात ये है कि तस्कर पुलिस
को चकमा देने के लिए लक्जरी कार से तस्करी कर रहे हैं। ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने मुखबिर की खबर
के आधार पर एक्सयूवी कार में से 7 हथियार तस्करों को गिरफ्तार कर उनके पास से 15 देसी पिस्टल
और कारतूस बरामद किए हैं। पकड़े गए तस्कर झाबुआ और धार से हथियार लेकर आते थे और
ग्वालियर चंबल अंचल में 20 से 25 हजार की कीमत पर खपाते थे। कार में बैठे बदमाशों के पास
हथियार और ब्राउन शुगर थी। पुलिस गिरफ्त में आए बदमाशों में विक्रम राणा, राहुल राजावत, बंटी
लोधी, पुष्पेंद्र उर्फ पुशु भदोरिया, अमन सिंह, करन राणा और शरद झा है। आरोपियों के पास से 20
लाख रुपए कीमत की ब्राउन शुगर भी बरामद हुई है। आरोपियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया
कि वह धार और झाबुआ जिलों से कम दामों में हथियार लाते हैं और ग्वालियर चंबल अंचल में इन
हथियारों को 20 से 25 हजार रुपए में बेचते हैं। विक्रम राणा और राहुल का लंबा चैड़ा आपराधिक रिकॉर्ड
है। दोनों ग्वालियर के हिस्ट्रीशीटर बदमाश भी हैं।
किसानों और कामगारों की आत्महत्या के बारे में भी आंकड़े चिंता जनक हैं । पिछले वर्ष अर्थात
2019 में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सरकार ने सदन में बताया था कि राज्य में पिछले 13
साल में 15,129 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह
द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए राज्य के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया था कि वर्ष 2004 से
वर्ष 2016 के दौरान प्रदेश में 15,129 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। उन्होंने कहा
था कि मध्य प्रदेश अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने ये आंकडे दिए हैं। गौरतलब है कि दिसंबर 2003 में मध्य
प्रदेश में भाजपा की सरकार आई थी और तब से लेकर उस समय तक प्रदेश में भाजपा नीत सरकार ही
थी। आंकडों के अनुसार, वर्ष 2004 में 1638 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की, जबकि वर्ष
2005 में 1248, वर्ष 2006 में 1375, वर्ष 2007 में 1263, वर्ष 2008 में 1379, वर्ष 2009 में 1395
और वर्ष 2010 में 1237 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। इसी तरह वर्ष 2011 में

1326 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने ख़ुदकुशी की, जबकि वर्ष 2012 में 1172, वर्ष 2013 में 1090,
वर्ष 2014 में 826, वर्ष 2015 में 581 और वर्ष 2016 में 599 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने
आत्महत्या की। उस वर्ष जून महीने में मध्य प्रदेश किसान आंदोलन का गढ़ बना हुआ था। किसान
कर्जमाफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे तमाम मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इस आंदोलन
का केंद्र राज्य का मंदसौर जिला बना हुआ था। छह जून 2016 को आंदोलन के दौरान जिले में पुलिस
फायरिंग हुई जिसमें छह किसानों की जान चली गई थी । इस घटना के बाद किसानों का आंदोलन
हिंसक हो उठा था। इस आंदोलन के दौरान भी किसानों की आत्महत्या लगातार जारी रही। कांग्रेस की
सरकार किसानों की कर्ज माफी के वादे पर बनी थी लेकिन किसानों को कर्ज से मुक्ति नहीं मिल
पायी। दूसरी तरफ बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों की कमर ही तोड़ दी है। कांग्रेस में आपसी
कलह के चलते बिखराव हुआ और कमलनाथ की सरकार गिर गयी। शिवराज सिंह चैहान ने फिर सरकार
बना ली लेकिन उनका पूरा ध्यान उपचुनावों पर है। किसानों की समस्या जस की तस हैं ।कांग्रेस और
भाजपा दोनों को किसानों से ज्यादा सत्ता पाने की चिंता है।
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