आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
गो तस्करों का शिकार हुए आशुतोष या जेल से हुई हत्या की साज़िश !
जौनपुर ज़िले के शाहगंज कोतवाली इलाके के इमरानगंज बाज़ार में सरे राह और दिन दहाड़े हुई आशुतोष श्रीवास्तव की हत्या से लोग दहल उठे हैं।आशुतोष फ़ायर ब्रांड हिंदुत्ववादी नेता , पत्रकार , और आरटीआइ ऐक्टिविस्ट थे।क़त्ल की यह वारदात जिस दुस्साहसिक ढंग से हुई उसे देख कर लगता है कि क़ातिल भाड़े के शूटर थे।हत्या के पीछे मास्टरमाइंड कौन है यह फिलहाल पुलिस और लोगों के लिए मुअम्मा बना हुआ है।
लोग दबी ज़ुबान में इस हत्या के पीछे दो कहानी सुना रहे हैं।पहली कहानी यह है कि गांव के ही एक बड़े गो तस्कर से आशुतोष की अदावत थी।आशुतोष के लेखन और विरोध के कारण उस गो तस्कर का साम्राज्य उजड़ गया था। वह कई बरस से घर छोड़ कर फरार है।कहा यह भी जाता है कि यह गो तस्कर अक्सर आशुतोष को फोन करके धमकाता भी था।
लोग एक दूसरी कहानी भी सुनाते हैं।इस कहानी के मुताबिक बीते बरस सबरहद गांव में एक दलित युवक की हत्या हो गयी थी।इस मामले में पुलिस ने गांव के पूर्व प्रधान राशिद को कई दिनों तक हिरासत में लेकर पूछ ताछ की।अंत मे पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि गांव के कुछ लोगों ने राशिद प्रधान को हत्या के मुकदमे में फंसाने के लिए दलित युवक की हत्या कर दी इस पूरे घटनाक्रम में आशुतोष ने न केवल पूरी ताक़त से राशिद प्रधान का साथ दिया बल्कि गांव को हिन्दू-मुस्लिम दंगे की आग से भी बचाया। दलित युवक का हत्यारा ज़िला जेल में है।
कुछ लोगों का कहना है कि ज़िला जेल से ही आशुतोष के क़त्ल की साज़िश रची गयी।मामला जो भी हो एक हिंदुत्वादी नेता , पत्रकार की दिनदहाड़े हुई हत्या ने क़ानून व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।