ब्यूरो,
…..’समरथ को नहीं दोष गोसाईं’…..
उत्तरप्रदेश जैसे राज्य के विधानसभाध्यक्ष चुनाव प्रचार मे उतरे हैं, खुलेआम अपनी ‘पूर्व पार्टी’ जिसे उन्होने इस पद पर पहुंचने के बाद ‘उससे तटस्थ रहकर’ सदन मे सत्ता पक्ष और विपक्ष के समन्वय के लिए संसदीय कार्यप्रणाली मे ‘निष्पक्ष रहने हेतु’ शपथ ली थी….वो आज कानपुर की सड़को पर ‘धूल धूसरित’ हो गई. ..!!
आज मा.अध्यक्ष जी शायद उस ‘पद,गरिमा और शपथ’ तीनो को भूल गये,निकाय चुनाव जैसे छोटे चुनाव मे अपनी कानपुर मे ‘साख बचाने के लिए’ सारे दायित्वों को गंगाज़ल से धुल कर जाजमऊ के घाट से प्रवाहित कर चुनाव प्रचार मे उतर गये….!!
इससे पहले कानपुर मे आयोजित मा. मुख्यमंत्री जी की जनसभा को भी बहुत जोश खरोश के साथ सम्बोधित भी किया।
अब जब सदन मे मा. विधानसभा अध्यक्ष जी सत्ता पक्ष और विपक्ष के सामने ‘शीर्ष’ पर बैठकर सदन को सुचारु रूप से चलाने का सहयोग मांगेगे,तो……..
ये दृश्य बरबस ही याद आ जाएगा….और इसीलिए ‘तत्समय और अद्यतन’ यही पंक्तियाँ चरितार्थ होंगी कि. …..
‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं’…..