ब्यूरो,
राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने दो मीडिया समूहों केरली और मीडिया वन चैनल के पत्रकारों को पीसी से बाहर कर दिया
एर्नाकुलम। अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान एरनाकुलम में सरकारी गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने दो मीडिया समूह के पत्रकारों से कहा, “मैं आपसे बात नहीं करूंगा। गेट आउट (बाहर निकलो)। आप यहाँ से चले जाइए. आप लोग मुझसे शाह बानो केस का बदला पूरा कर रहे हैं। आप मेरे ख़िलाफ़ गलत जानकारियों के आधार पर अभियान चलाए जा रहे हैं। अख़बार के अनुसार, वहाँ मौजूद बाकी पत्रकारों ने ख़ान को ये भी कहा कि ये दोनों मीडिया समूह राज्यपाल कार्यालय से न्योता मिलने पर ही यहाँ आए हैं। लेकिन इसके बावजूद राज्यपाल ख़ान ने दोनों से बात नहीं की। आरिफ़ मोहम्मद ख़ान को कांग्रेस पर इतना ग़ुस्सा क्यों आता है?
ख़ान से जब पूछा गया कि क्या राज्यपाल आलोचनाओं से ऊपर होते हैं तो उन्होंने कहा, “आलोचना करने में कोई समस्या नहीं है। कोई भी आम इंसान मेरी आलोचना कर सकता है। लेकिन वो नहीं, जिन्हें मैंने नियुक्त किया हो। मैं प्रधानमंत्री (राजीव गांधी) की आलोचना करना चाहता था। इसलिए मैंने (1986 में) केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
राज्यपाल ख़ान ने कहा कि वह इन दो चैनल के मीडियाकर्मियों से बात नहीं करेंगे और आरोप लगाया कि वे मीडिया के रूप में (केरल सरकार के) कार्यकर्ता हैं।
उन्होंने कहा, “मैं उन लोगों से बात करने के लिए खुद को अब और समझाने में सक्षम नहीं हूं जो मीडिया के रूप में वास्तव में पार्टी कैडर हैं। मैं केरली से कोई बात नहीं करूंगा। अगर केरली यहां होगा तो मैं चला जाऊंगा।
सन् 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो केस में मुस्लिम महिलाओं के लिए तलाक़ के बाद भरण-पोषण भत्ता देने का प्रावधान किया था। उस समय आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने इस फ़ैसले का समर्थन किया था। उन्होंने सरकार और राजीव गाँधी के रुख से नाराज़ होकर मंत्री पद छोड़ दिया था।