राष्ट्रपति चुनाव में सीएम योगी और भाजपा की रणनीति ने सपा और अखिलेश यादव की मुहिम को बड़ा झटका दिया है। विपक्षी एकता को एक बार फिर नहीं बनने दिया।
राष्ट्रपति चुनाव में सीएम योगी और भाजपा की रणनीति ने विपक्षी एकता को एक बार फिर तोड़ दिया है। सपा की मुहिम को बड़ा झटका दिया। सूबे में इस साल विधानसभा चुनावों से शुरू हुआ भाजपा का विजय अभियान लगातार जारी है। स्थानीय निकाय कोटे की विधान परिषद सीटें हों या राज्यसभा और एमएलसी चुनाव भाजपा हर मोर्चे पर सफल रही है। रामपुर और आजमगढ़ उपचुनावों की जीत ने जश्न की खुशी को दोगुना कर दिया।
मिशन-2024 की तैयारी में जुटी भाजपा अपना हर कदम फूंक-फूंककर रख रही है। लगातार जीत ने पार्टी के उत्साह में वृद्धि कर दी है। पहले विधानसभा चुनाव, फिर राज्यसभा, विधान परिषद की स्थानीय निकाय और अन्य सीटों के लिए हुए चुनावों में भाजपा ने जीत का परचम फहराया। यह पहला मौका है जब विधान परिषद में भाजपा का बोलबाला हो चुका है। राष्ट्रपति चुनाव में भी भगवा खेमे की रणनीति पूरी तरह सफल रही है। सबसे बड़ा झटका सत्ताधारी दल के खिलाफ विपक्षी एकता का ताना-बाना बुनने के प्रयास में जुटी समाजवादी पार्टी को लगा है।
द्रौपदी मुर्मू के एनडीए प्रत्याशी घोषित होते ही सबसे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने उनके समर्थन का ऐलान किया था। आठ जुलाई को जब मुर्मू लखनऊ आईं तो उनके सम्मान में दिए रात्रि भोज में सपा के सहयोगी सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर को बुलाकर मुख्यमंत्री ने सपा को बड़ा झटका दे दिया था। सपा विधायक शिवपाल यादव इस चुनाव में भी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को लगातार नसीहतें देते रहे। उन्होंने ऐलानिया क्रास वोटिंग तो की ही, कई अन्य विधायकों के भी अंतर्रात्मा की आवाज पर वोट करने की बात कहकर सपा में सेंधमारी की अटकलों को हवा दे दी।
विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की मुश्किलें भाजपाई रणनीतिकारों ने उस बयान को लेकर बढ़ा दीं, जो सिन्हा ने भाजपा में रहते हुए दिया था। तब सिन्हा ने तत्कालीन रक्षामंत्री मुलायम सिंह को आईएसआई एजेंट बताया था। इस चुनाव को लेकर उपमुख्यमंत्री द्वय केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने ही नहीं खुद चचा शिवपाल ने भतीजे को घेरा था। भाजपा की यह रणनीति भी सपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ाने में सफल रही।