ब्यूरो,
देहरादून: देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में लेखिका सुरभि सिंघल के कहानी संग्रह ‘बियर टेबल’ और लेखक देवेन्द्र प्रसाद के उपन्यास ‘कब्रिस्तान वाली चुड़ैल’ का विमोचन हुआ। यह कार्यक्रम पटेल नगर में मौजूद वालनट रेस्टोरेंट में 26 दिसम्बर 2021 को आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में साहित्यकारों के साथ एक चर्चा भी की गयी जिसमें उन्होंने अपने लेखन यात्रा और अपनी पुस्तक के विषय में श्रोताओं को बताया। वहीं लेखकों द्वारा अपनी-अपनी पुस्तक के अंश का पाठ भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन विकास नैनवाल( सम्पादक: एक बुक जर्नल नामक – वेब पत्रिका) के द्वारा किया गया।
अपनी पुस्तक की बारे में बात करते हुए सुरभि सिंघल द्वारा कहा गया कि उनकी इस पुस्तक में आज की नारी की कहानियाँ हैं जो कि भीरु प्रवृत्ति से बाहर आकर न केवल अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही हैं बल्कि साथ में अपने पर अन्याय करने वालों पर पलट वार भी कर रही हैं। वहीं देवेन्द्र प्रसाद द्वारा बताया गया कि डर एक आदिम भाव है जो आदिकाल से मनुष्य के साथ रहा है। यही कारण है कि डरावनी कहानियाँ पाठकों को आज भी आकर्षित करती आ रही हैं।
दोनों ही साहित्यकारों द्वारा इस बात पर भी जोर दिया गया कि लेखन इस तरह से होना चाहिए जिससे पाठक उसके साथ जुड़ाव महसूस कर पाये। वहीं उन्होंने साहित्य में बने खाँचों को तोड़कर हर तरह के लेखन पर खुलकर चर्चा करने की भी बात की।
बताते चलें ‘बियर टेबल’ लेखिका सुरभि सिंघल की चौथी पुस्तक है। पेशे से शिक्षिका सुरभि सिंघल के इससे पहले तीन उपन्यास ‘फीवर 104’, ‘वापसी इंपोसिबल’, ‘लेट लतीफ़ लव’ प्रकाशित हो चुके हैं। इस नवीन कहानी संग्रह संग्रह में उनकी आठ कहानियों को संकलित किया गया है। आज की नारी के जीवन के पलों को दर्शाती इन काहनियों में लेखिका द्वारा सामयिक मुद्दों को उठाया गया है।
वहीं ‘कब्रिस्तान वाली चुड़ैल’ लेखक देवेन्द्र प्रसाद की चौथी पुस्तक है। यह पुस्तक फ्लायड्रीम्स प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। इससे पूर्व उनके दो कहानी संग्रह ‘खौफ… कदमों की आहट’ और ‘नरपिशाच’ और एक उपन्यास ‘लौट आया नर पिशाच’ प्रकाशित हो चुका है। उनका उपन्यास ‘कब्रिस्तान वाली चुड़ैल’ पुस्तक रूप में प्रकाशित होने से पहले प्रतिलिपि नामक ऑनलाइन ऐप्पलीकेशन में सिलसिलेवार प्रकाशित हुआ था जहाँ इस शृंखला को 13 लाख व्यूज प्राप्त हुए थे। वहीं पॉकेट एफएम में इस उपन्यास के ऑडियो संस्करण को 30 लाख बार सुना जा चुका है।
कार्यक्रम का अंत साहित्यकारों द्वारा अपने प्रशंसकों (कार्यक्रम में मौजूद और ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए) के प्रश्नों के उत्तर देने से हुआ।