वायु प्रदूषण से निपटने को दिल्ली में लगेगा लॉकडाउन? केंद्र

ब्यूरो,

दिल्ली में बढ़े प्रदूषण से लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। आंखों में जलन, गले में खराश और सांसों में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना बड़ी आबादी कर रही है। ऐसे में अब राज्य की केजरीवाल सरकार की ओर से प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कंप्लीट लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है। दिल्ली सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान इस बात के संकेत दिए हैं। केजरीवाल सरकार ने कहा कि हम दिल्ली में वायु प्रदूषण को थामने के लिए कंप्लीट लॉकडाउन लगाने को तैयार हैं। यही नहीं केजरीवाल सरकार ने कहा कि यदि दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के आसपास के शहरों में भी इस तरह का लॉकडाउन लगे तो प्रदूषण से निपटा जा सकता है।

वहीं केंद्र सरकार ने दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के लिए पराली को बड़ी वजह मानने से इनकार किया है। सरकार के वकील ने अदालत में कहा कि पराली दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ अन्य राज्यों में बढ़े प्रदूषण का बड़ा कारण नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा कि पराली जलाए जाने का वायु प्रदूषण में 10 फीसदी ही योगदान है। केंद्र सरकार ने कहा कि पलूशन के 90 फीसदी कारण अन्य चीजें हैं। बता दें कि अकसर पर्यावरण विशेषज्ञ पराली जलाए जाने को भी दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़े वायु प्रदूषण की वजह बताते रहे हैं।

यही नहीं केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में एयर पलूशन से निपटने के लिए तीन सुझाव भी दिए। केंद्र सरकार ने कहा कि ऑड ईवन स्कीम, दिल्ली में ट्रकों की एंट्री से एयर पलूशन को कम किया जा सकता है। यही नहीं सरकार ने कहा कि यदि इससे भी समस्या खत्म नहीं होती है तो फिर अगला विकल्प लॉकडाउन भी हो सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में एयर पलूशन की मुख्य वजह धूल है, जो गाड़ियों की अधिक आवाजाही और उद्योगों के चलते है। अदालत ने कहा कि यदि सरकार की ओर से समय रहते इसलिए कदम उठाए जाएं तो फिर इसे खतरनाक लेवल तक पहुंचने से रोका जा सकता है।

दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा, ‘हम प्रदूषण से निपटने के लिए सभी कदम उठाने को तैयार हैं। इसमें कंप्लॉट लगाना भी शामिल है। लेकिनयह तभी कारगर हो सकता है, जब पड़ोसी राज्यों के नजदीकी शहरों में भी इस तरह के कदम उठाए जाएं। दिल्ली के क्षेत्रफल को देखते हुए यदि हम ही ऐसा कदम उठाते हैं तो फिर इसका असर उतना ज्यादा नहीं होगा।’ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर यह बात कही है।

पर्यावरण एक्टिविस्ट आदित्य दुबे और लॉ स्टूडेंट अमन बांका की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने यह बात कही। याचियों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि पराली को हटाने के लिए जरूरी मशीने छोटे और मझोले किसानों को मुफ्त में प्रदान की जानी चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ने पराली को प्रदूषण की बड़ी वजह मानने से इनकार किया है। इस पर अदालत ने कहा कि यदि पराली जलने का वायु प्रदूषण में ज्यादा योगदान नहीं है तो फिर इस पर ज्यादा हो-हल्ला नहीं होना चाहिए।

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