कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर अब मेरठ की स्थिति भयावह हो गई है। मई के 10 दिनों में कोरोना के 138 नए मरीज और नौ मौत से मेरठ शहर सहम गया है। जहां देखो बस कोरोना की चर्चा है। आखिर मई के महीने में मेरठ को क्या हो गया।
25 मार्च से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी तब मेरठ में एक भी केस नहीं था। मेरठ को कोरोना से महफूज माना जा रहा था। 27 मार्च को मेरठ में अमरावती (महाराष्ट्र) से आए क्राकरी व्यापारी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। किसी तरह मार्च बीता। एक, दो से बढ़कर संख्या 19 हुई। अप्रैल का महीना थोड़ा बुरा रहा। अप्रैल के 30 दिनों में मेरठ में कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 106 हो गई। पांच लोगों की मौत हो गई।
मई शुरू हुआ तो लगा कि अब कोरोना खत्म हो सकता है, लेकिन स्थिति उलट गई। केस पर केस बढ़ते ही गए। कोरोना संक्रमण एक-दो मोहल्लों से बढ़कर सारे शहर में फैल गया। केवल आउटर एरिया बचा।
मई के 10 दिनों में स्थिति भयावह हो गई। दो मई को छोड़ दें तो बाकी के नौ दिनों में 10 से लेकर 26 केस सामने आए। मई के 10 दिनों में अब तक 138 नए केस आए। वहीं भाजपा नेता और शहर विधायक के फूफा सहित नौ लोगों की मौत हो गई। प्रदेश में आगरा के बाद सबसे अधिक मौत मेरठ में हुईं। कोरोना के आगे सारा सिस्टम फेल हो गया। मई से पहले 37 दिनों के लॉकडाउन में 106 केस और पांच मौत। वहीं मई के 10 दिनों में 138 केस और नौ मौत।