आवश्यकता विज्ञान की जननी है। यह कहावत अब यूपी- कानपुर जिले के शिवराजपुर के नधिया बुजुर्ग गांव में भी चरितार्थ हुई। डीजल के दाम बढ़े तो यहां के युवा किसान ने एलपीजी (द्रवित पेट्रोलियम गैस) से पम्पिंग सेट चला दिया।
नधिया बुजुर्ग गांव निवासी सोनू तिवारी (28) 10वीं तक ही पढ़ा है। सालभर पहले पिता रमाशंकर का देहांत हो गया था। इसके बाद परिवार में चार बहनों और मां की जिम्मेदारी उस पर आ गई। सोनू ने बताया कि दो एकड़ खेती ही परिवार की आय का साधन है। इधर, डीजल के बढ़े भाव के चलते फसलों की सिंचाई को लेकर परेशान रहता था। हफ्तेभर पहले घर के बरामदे में तख्त पर लेटा कुछ नया करने का सोच रहा था। मन आया कि जब पेट्रोल, डीजल और सीएनजी से इंजन चल सकते हैं तो एलपीजी (रसोई गैस) से क्यों नहीं। मन में एकाएक आए विचार को साकार करने के लिए घर से रसोई गैस सिलेंडर लेकर सीधे खेत पहुंचा। इंजन स्टार्टकर मन में आए ख्याल को मूर्तरूप देने में जुट गया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद जो कामयाबी मिली, उसे देख खुद दंग रह गया। इंजन बिना किसी दिक्कत के एलपीजी से चलने लगा। यहां तक धुंआ भी नहीं निकल रहा था।
युवा किसान ने बताया कि पहले इंजन को चालू करने के लिए डीजल का प्रयोग किया जाता है। फिर ईयर क्लींजर में गैस सिलेंडर रेगुलेटर की नली को उसके अंदर नेजूल से फिक्स कर दिया जाता है। इससे लगातार इंजन चलता रहता है। रेगुलेटर की मदद से गैस आपूर्ति कम और ज्यादा कर स्पीड भी नियंत्रित की जा सकती है।
रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 609 रुपए है। इसमें 14 किलो 200 ग्राम गैस होती है। किसान ने बताया कि एक सिलेंडर से 35 घंटे इंजन चलाकर सिंचाई कर चुका है। घंटे के हिसाब से 17 रुपए 50 पैसे की लागत आ रही है। जबकि इंजन डीजल से चलाने पर 75 रुपए प्रति घंटे की लागत आती है।