राजस्थान में सियासी संकट जारी है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 बागी विधायकों ने राजस्थान हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की है, जिसमें भारत सरकार को भी पक्षकार बनाने की अपील की गई है। अधिवक्ता एस हरि हरन, दिव्येश माहेश्वरी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने भारत के संविधान की अनुसूची X के पैरा 2 (1) (ए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, इसलिए इसमें केंद्र सरकार को एक पक्ष बनाया जाना आवश्यक है।
याचिक में यह भी कहा कि केंद्र के शामिल किए जाने से किसी भी पक्ष को कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा।
सचिन पायलट और कांग्रेस के बागी विधायकों की याचिका में कहा गया है कि विनम्रतापूर्वक प्रार्थना की गई है कि भारत सरकार को कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव के माध्यम से न्याय और कानून के हित में इस केस में एक पक्ष बनाया जाए। एक वकील ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय 24 जुलाई को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके कैंप के 18 अन्य विधायकों द्वारा दायर की गई याचिका पर आदेश सुनाएगा।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से पेश हुए वकील प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि मामले में दलीलें समाप्त कर दी गई हैं। इस बीच, पायलट ने बुधवार को राज्य के एक विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा को उनके आरोपों पर कानूनी नोटिस दिया है। विधायक ने आरोप लगाया था कि पायलट ने उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए पैसे की पेशकश की थी।
पायलट ने वकील एस हरिहरन के माध्यम से जारी कानूनी नोटिस में सिंह से उनके खिलाफ एक झूठा और तुच्छ आरोप लगाने के लिए माफी मांगने के लिए कहा। कानूनी नोटिस में कहा गया है कि गिरिराज सिंह ने पूर्व उपमुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने, राजनीतिक लाभ हासिल करने और अपने राजनीतिक विरोधियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के एकमात्र इरादे से टिप्पणी की है।