लखनऊ वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में गुरुवार को विशेष सीबीआई अदालत में पेश हुईं। वह इस मामले में अदालत में बयान दर्ज कराने वाली 19वीं आरोपी हैं। उन्होंने विशेष सीबीआई न्यायाधीश एस. के. यादव की अदालत में दिए गए अपने बयान में कहा कि 1992 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उनपर बाबरी विध्वंस का आरोप मढ़ा था। वह बिल्कुल निर्दोष हैं।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने बाबरी विध्वंस मामले में अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए उनके तथा अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। सभी को राजनीतिक दबाव में गलत तरीके से फंसाया गया।
उमा भारती ने इस मामले में सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों पर कहा कि यह सब राजनीतिक दुश्मनी की वजह से किया गया है। हालांकि अदालत के बाहर आकर उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि राम मंदिर अभियान से जुड़कर वह खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं।
उन्होंने कहा, ”मैं तो राम भक्त हूं और राम भक्ति के भाव की वजह से मैंने इस पूर्ण अभियान में भाग लिया। इसके लिए मैं हमेशा खुद को गौरवशाली मानती हूं।
भारती ने अदालत में दिए गए बयान पर संवाददाताओं को कुछ भी बताने से इनकार करते हुए कहा, “मैं भारत के कानून को वेदों की तरह मानती हूं। अदालत एक मंदिर है और उसमें बैठे हुए न्यायाधीश को मैं भगवान की तरह मानती हूं। उनके सामने मैंने जो बातें कहीं हैं, उनपर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकती क्योंकि सारी बातों पर फैसले आने बाकी हैं। मैंने अदालत में जो भी कहा, उसके बारे में मैं आपको कुछ नहीं बताऊंगी।”
उन्होंने कहा, “लेकिन मैं यह जरूर कहूंगी कि यह 500 साल तक चली लंबी लड़ाई है। शायद ही संसार का कोई अभियान ऐसा रहा हो जिसने पांच शताब्दियां पार की हों और उन पांचों शताब्दियों में वह लगातार बढ़ता ही गया हो। अंत में उच्चतम न्यायालय का जो निर्णय आया है, उसे भारतवासियों ने जिस प्रकार स्वीकार किया उससे भारत की छवि दुनिया में बहुत उज्ज्वल हुई है।”
भारती ने कहा, “क्योंकि भारत के बारे में यह माना जाता था कि यहां धार्मिक विभाजन मौजूद रहता है लेकिन उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भारत ने जिस तरह एकजुट होकर उसे स्वीकार किया, उससे एक गौरवशाली परंपरा कायम हुई है।”
विशेष सीबीआई अदालत 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में आरोपी 32 लोगों के बयान दर्ज कर रही है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार विशेष अदालत इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त तक पूरी करने के लिए रोजाना काम कर रही है।
इस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी का बयान दर्ज होना अभी बाकी है। उनके वकीलों ने अदालत को बताया है कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना बयान दर्ज कराना चाहते हैं।