Dr.S.K.Srivastava
लखनऊ 10 जून । राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी ने प्रदेश सरकार पर नौनिहालों की शिक्षा के प्रति सोची समझी रणनीति के तहत अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा है कि वर्ष 2017 से पूर्ववर्ती सरकारों के समय से ही 69000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया कानूनी शिकंजे में है।इसी कारण शिक्षा मित्रों की नियुक्तियां की गई थीं ताकि इन नन्हे मुन्ने बच्चों की शिक्षा बाधित न हो।संयोगवश माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय शिक्षा मित्रों की सेवा समाप्त करने का आ गया और इस सरकार ने बेरोजगार हुए हजारों शिक्षा मित्रों के लिए पुनर्विचार याचिका तक दायर नहीं की।परिणामस्वरूप प्रदेश के नौनिहालों की शिक्षा बाधित हुई और हजारों युवा पुरुषों और महिलाओं को बेरोजगार होना पडा़।सरकार की मंशा रही होगी कि अपने लोगों को उपकृत करने का मौका मिलेगा।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश सरकार की देखरेख में वर्ष 2019 में जब भर्ती परीक्षा आयोजित की गई तभी परीक्षा से पूर्व ही प्रयागराज में प्रश्न पत्र आउट हो गया था तथा साल्वर गैंग की भनक लग गई थीऔर इसी प्रकरण में नेशनल इन्टर कालेज लखनऊ के प्रधानाचार्य तथा प्रतापगढ़ जिले से पुलिस के सिपाही अभय कुमार सिंह के अतिरिक्त कानपुर मुरादाबाद,आजमगढ़, आगरा आदि से 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।उन्होंने कहा कि यदि सरकार की मंशा साफ थी तो उसी समय परीक्षा निरस्त क्यों नहीं की गई ? आज पुनः बेसिक शिक्षा मंत्री एस.टी.एफ से जाँच कराने जा रहे हैं और रिपोर्ट आते आते सरकार का कार्य काल पूरा हो जायेगा।फलतः इस सरकार के कार्य काल में नौनिहालों को शिक्षक नहीं मिलेंगे जबकि अब तक किसी भी शिक्षा सत्र में यह सरकार समयानुसार न तो पुस्तकें और कापियाँ ही दे पाई और न ही बच्चों की ड्रेस और जूते मोजे दिए गए। रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि सिर्फ बेसिक शिक्षा ही नहीं बल्कि माध्यमिक शिक्षा भी सरकार की अनदेखी का शिकार है क्योंकि माध्यमिक विद्यालयों में भी लगभग 60000 शिक्षकों के पद रिक्त हैं और यह सरकार इस क्षेत्र में सकारात्मक कदम उठाने के बजाय हिन्दू -मुस्लिम, शमसान- कब्रिस्तान जैसे नकारात्मक पहलुओं पर समय बर्बाद करती रही जिसके लिए धर्म निरपेक्ष देश में कोई स्थान नहीं है।प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का सपना दिखाने वालों को यह समझना होगा कि बिना शैक्षिक विकास के सारी बातें बेमानी हैं। सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी प्रदेश प्रवक्ता