डीयू के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) प्रथम और द्वितीय वर्ष के तथा परास्नातक प्रथम वर्ष के कुल करीब तीन लाख छात्र बिना लिखित परीक्षा दिए केवल आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उत्तीर्ण कर दिए जाएंगे। यह जानकारी गुरुवार को एसओएल के विशेष कार्य अधिकारी प्रो. उमाशंकर पांडेय ने दी।
ज्ञात हो कि एसओएल में प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्र सेमेस्टर मोड में नहीं पढ़ते हैं। यहां सेमेस्टर लागू करने को लेकर मामला अभी अदालत में लंबित है। इसलिए प्रथम वर्ष के छात्र भी केवल आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उत्तीर्ण होंगे। जबकि, द्वितीय वर्ष के साथ भी डीयू के परीक्षा विभाग ने ऐसा करने का निर्णय लिया है। डीयू में एसओएल के विशेष कार्य अधिकारी प्रो. उमा शंकर पांडेय का कहना है कि हमारे यहां प्रथम वर्ष में परीक्षा नहीं हो पाई थी इसलिए प्रथम वर्ष के लगभग एक लाख 60 हजार छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उत्तीर्ण किया जाएगा। द्वितीय वर्ष के एक लाख 20 हजार छात्रों को भी केवल आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उत्तीर्ण किया जाएगा। परास्नातक में सेमेस्टर सिस्टम पहले से लागू है। इसलिए दूसरे सेमेस्टर के छात्रों को पिछले सेमेस्टर के अंक और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर उत्तीर्ण किया जाएगा।
तृतीय वर्ष के छात्रों की पदोन्नति क्यों नहीं? : डीयू में विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य पंकज गर्ग का कहना है कि जिस तरीके से डीयू द्वारा प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को अगले वर्ष में 50-50 की विधि से पदोन्नत करने का प्रावधान किया गया है वैसे ही अंतिम वर्ष के छात्रों का परिणाम भी 50-50 की विधि से घोषित किया जा सकता है।
प्रथम, द्वितीय वर्ष के छात्रों की लिखित परीक्षा नहीं होगी डीयू के परीक्षा विभाग ने एक आधिकारिक नोटिफिकेशन निकालकर स्पष्ट कर दिया है कि वह नियमित छात्रों के लिए स्नातक प्रथम व द्वितीय वर्ष तथा परास्नातक प्रथम वर्ष के सभी छात्रों की लिखित परीक्षा नहीं कराएगा। डीयू इन सभी छात्रों को पिछले सेमेस्टर के अंक का 50 फीसदी व आंतरिक मूल्यांकन के अंक के मूल्य का 50 फीसदी जोड़कर परीक्षा परिणाम तैयार करेगा।