Bueauro,
भोजपुरी मैथिली की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा जी को श्रद्धांजलि व सादर शत शत नमन…
सादर नमन श्रद्धांजलि भोजपुरी मैथिली की स्वर कोकिला को….इस शैली की लोकगायन की लता मंगेशकर सरीखा आदर जो शैली इन्होंने गायन में रखी वहीं वेश भूषा एक पूरा सांस्कृतिक परिवेश और विरासत भोजपुरी गीत,कजरी छठ के गीत विवाह के गीत जिसका मिथिलांचल में अपनी एक खास विधा रही है उसकी कोहेनूर थी शारदा सिन्हा जी आवाज में एक खास कशिश जो यंहा के माटी के कण कण को झंकृत करती रही वो आवाज़ केवल इनकी ही रही आवाज की जो पिच थी जो सुरम्यता थी जो कोमलता थी इनके जैसा दूसरा हो नहीं सकता कोयल बिना बगिया न सोहैल राजा… उनसे बेहतर कौन गा सकता है भला उस बगिया से कोयल की रुखसती हो गयी सूरज बड़जात्या को जब फिल्मो मे लोकगायन का पारंपरिक गीत चाहिए होता वो केवल शारदा सिन्हा जी ही गा सकती थी कहे तोहसे सजनी ई तोहरी सजनिया…एक अमर गीत हिन्दी फिल्म का उसकी भला कोई दूसरी आवाज हो सकती थी शारदा सिन्हा जी ने केवल संगीत से प्रेम किया वो पूरा लालित्य से दमकता चेहरा और बड़ी सी बिंदी जब किसी मंच से हारमोनियम पर गायन का माधुर्य बिखरेता था तब मानो भोजपुरी और मैथिली का श्रंगार हो जाता था दरअसल असली लोकसंगीत था वहीं आज का भोजपुरी संगीत जिस फूहड़ता के दौर से गुजर रहा ये निश्चित ही पीड़ादायक है उनकी उस परंपरा को आज के लोकगायक उनके उसी रूप में जीवित रखें तो उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी हृदय तल से मैं स्वरकोकिला को नमन करता हूं कलाकार कभी नहीं मरता उनकी आवाज उनकी गायकी उनकी शैली हमेशा जिंदा रहेगी सादर नमन शत शत नमन…