भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कहा कि भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में कोई देरी नहीं होगी और जिस समय सीमा को तय किया गया था उसका सख्ती से पालन किया जाएगा। माना जा रहा था कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से राफेल की आपूर्ति में देरी हो सकती है।
भारत ने फ्रांस के साथ सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करीब 58,000 करोड़ रुपये की लागत से किया था।
लेनिन ने बताया, ”राफेल विमानों के कॉन्ट्रैक्ट का अब तक बिल्कुल सही तरीके से सम्मान किया गया है और वास्तव में अनुबंध के मुताबिक अप्रैल के अंत में फ्रांस में भारतीय वायु सेना को एक नया विमान सौंपा भी गया है।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 अक्टूबर को फ्रांस में एक हवाई अड्डे पर पहला राफेल जेट विमान प्राप्त किया था।
राजदूत ने कहा, ”हम भारतीय वायुसेना की पहले चार विमानों को यथाशीघ्र फ्रांस से भारत ले जाने की व्यवस्था करने में मदद कर रहे हैं। इसलिये, यह कयास लगाए जाने के कोई कारण नहीं हैं कि विमानों की आपूर्ति के कार्यक्रम की समयसीमा का पालन नहीं हो पाएगा।”
फ्रांस कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों से जूझ रहा है और यूरोप से सबसे प्रभावित देशों में से एक है। देश में एक लाख 45 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं जबकि 28,330 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसी आशंकाएं थीं कि राफेल विमानों की आपूर्ति में महामारी के कारण देर हो सकती है। हालांकि लेनिन ने कहा कि विमानों की आपूर्ति की वास्तविक समयसीमा का अनुपालन किया जाएगा।