कोरोना संकट के बीच राज्यों की उधारी बढ़ाने के मसले पर केंद्र सरकार के फैसले से नाखुश राज्य इस पर दोबारा विचार करने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से राज्यों की उधारी को सशर्त बढ़ाने की मंजूरी दी गई है। राज्य उधारी का बड़ा हिस्सा बिना शर्त मंजूरी चाहते हैं। साथ ही रिजर्व बैंक की तरफ से कर्ज दिए जाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार की तरफ से दी गई उधारी की सशर्त व्यवस्था राज्यों के लिए तर्क संगत कतई नहीं है। केंद्र सरकार की तरफ से दी गई नई व्यवस्था में शुरुआती 1 फीसदी उधारी बिना शर्त के होनी चाहिए, बाकी के हिस्से को भले ही केंद्र रिफॉर्म की शर्त के साथ जोड़ दें। साथ में ये भी कहा कि केंद्र सरकार ने तो अपना कर्ज 53 फीसदी बढ़ा लिया है। राज्यों को बाजार से उधारी लेने पर ऊंचा ब्याज देने पड़ेगा और इस बात की भी संभावना है कि हमारा कर्ज सब्सक्राइब न हो पाए, ऐसे में रिजर्व बैंक को दखल देने की जरूरत पड़ेगी।
सुशील मोदी ने केंद्र सरकार की तरफ से बताए गए राज्यों की उधारी के आंकड़े के बारे में कहा कि अभी उधारी लेने का लंबा समय बाकी है। उनके मुताबिक, राज्यों की उधारी के लिए 6-6 महीने की विंडो रहती है। ऐसे में मई महीने तक ही सारी उधारी नहीं लेनी होती है। इसके लिए राज्यों के पास पहली तीमाही में ही जून तक का समय है। ऐसे में जिन्हें भी उधारी चाहिए वो आगे लेंगे ही। इसके लिए सितंबर तक का समय पहली छमाही में बाकी है।
केंद्र सरकार ने राहत पैकेज के ऐलान के समय बताया था कि राज्यों के लिए वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान उधार जुटाने की पहले से स्वीकृत कुल सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपए तय है। हालांकि राज्यों ने अब तक अधिकृत सीमा का केवल 14 फीसदी रकम ही उधार ली है। बाकी की 86 फीसदी अधिकृत कर्ज सीमा का इस्तेमाल किया ही नहीं गया है। बावजूद इसके राज्यों की तरफ से इस सीमा को बढ़ाने की मांग उठ रही थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि राज्यों की इसी मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने कुल उधारी की मौजूदा सीमा जो राज्यों की जीडीपी का 3 फीसदी होता है उसे बढ़ाकर 5 फीसदी किया जा रहा है। इन नए ऐलान के बात राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त उधारी की व्यवस्था हो जाएगी। राज्यों को 6.41 लाख करोड़ रुपए कर्ज की व्यवस्था पहले से ही है।
हालांकि, केंद्र सरकार ने इस मंजूरी के साथ कई शर्तें भी लगा दी हैं। वित्त मंत्री ने बताया था कि उधारी में इस दो फीसदी की बढ़ोतरी में से आधा फीसदी की बढ़ोतरी बिना शर्त की गई है। यानी अपने जीएसडीपी का 3.5 प्रतिशत तक राज्य बेरोक-टोक उधारी ले सकेंगे। वहीं इसके अगले एक फीसदी उधार में से 0.25 प्रतिशत एक राष्ट्र एक राशन कार्ड के लिए, 0.25 फीसदी कारोबार की आसानी के लिए, 0.25 फीसदी बिजली वितरण के लिए और 0.25 फीसदी शहरी स्थानीय निकायों के राजस्व के लिए लिया जा सकेगा। इन चार में से तीन मानकों का लक्ष्य हासिल होने पर ही राज्य को अंतिम 0.5 प्रतिशत उधारी दी जाएगी। अब राज्य इन्हीं शर्तों का विरोध कर रहे हैं और आने वाले दिनों में इस बारे में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर दी गई व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं।