ब्यूरो,
रूस और चीन जैसे देश ब्रिक्स का विस्तार चा रहे हैं। हालांकि, भारत की इसमें दिलचस्पी नहीं है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स में शामिल होने की चाह रखने वाले ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रायसी से बात की है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ”प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत-ईरान संबंध करीबी ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों पर आधारित है। लोगों के बीच मजबूत संपर्क भी इसमें शामिल है। दोनों नेताओं ने कनेक्टिविटी हब के रूप में चाबहार बंदरगाह की पूरी क्षमता का उपयोग करने के साथ-साथ द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।”
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों नेताओं ने ब्रिक्स के विस्तार सहित बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग पर भी चर्चा की। दोनों देश दक्षिण अफ्रीका में आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर अपनी बैठक के लिए उत्सुक हैं।
दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब अगले हफ्ते दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होने वाला है। इसके एजेंडे में ईरान सहित कई नए देशों को ब्रिक्स में शामिल करना शामिल है। लगभग 40 देशों ने कथित तौर पर ब्रिक्स में शामिल होने में रुचि व्यक्त की है। कहा जाता है कि देशों की इस सूची में सऊदी अरब, अर्जेंटीना, कजाकिस्तान, कोमोरोस और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भी शामिल है।
भारत ने इस कदम का विरोध नहीं किया है, लेकिन उसने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि ब्रिक्स के विस्तार के लिए आवेदनों पर विचार करने और उन्हें मंजूरी देने के लिए तंत्र अभी तक विकसित नहीं किया गया है। इसलिए भारत इसके विस्तार पर आगे बढ़ने के लिए इच्छुक नहीं है। इस चिंता को देखते हुए कि चीन ब्रिक्स की सदस्यता में और अधिक देशों को शामिल करने पर विचार कर रहा है जो पश्चिम देशों को लेकर संशयवादी विश्वदृष्टिकोण रखते हैं।