हर दोष दूर करता है यह व्रत, शत्रु बाधा होती है शांत

हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि के योग को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत के मुख्य देवता भगवान शिव माने गए हैं, लेकिन इस दिन मां पार्वती की भी पूजा की जाती है। इस व्रत में हनुमान जी की भी उपासना अवश्य करें।

सूर्यास्त के बाद का कुछ समय प्रदोष काल के रूप में जाना जाता है। स्थान विशेष के अनुसार यह बदलता रहता है। सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरंभ होने तक के समय को प्रदोष काल में लिया जा सकता है। इस व्रत में पूरे दिन उपवास करें। शाम के प्रथम प्रहर में स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की आराधना करें। शिव चालीसा का पाठ करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस व्रत के प्रभाव से मंगल ग्रह की शांति भी हो जाती है। इस व्रत के प्रभाव से हर दोष दूर हो जाता है। हनुमान जी की पूजा से शत्रु बाधा शांत होती है। इस व्रत में जरूरतमंदों को भोजन कराएं। हनुमान मंदिर में चमेली के तेल का दीपक जलाएं। सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जी को अपनी आयु के अनुसार लड्डू अर्पित करें। ओम नम: शिवाय का जाप करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *