जेठ का दूसरा बड़ा मंगल ,घरों में जयकारे गूंजे, मंदिरों में हुई बजरंगबली हनुमान की आरती

जेठ के दूसरे बड़े मंगल पर राजधानी  लखनऊ के प्रमुख हनुमान सेतु मंदिर, अलीगंज के नए हनुमान मंदिर, मेडिकल कालेज चौराहा स्थित छांछी कुआं हनुमान मंदिर,  पक्का पुल स्थित लेटे हुए हनुमान मंदिर, अमीनाबाद हनुमान मंदिर, बीरबल साहनी मार्ग स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर समेत अन्य मंदिरों में श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान की आरती की गई। 

 लॉकडाउन के कारण भक्त लोग मंदिर में दर्शन न कर पाने के कारण अपने-अपने घरों में हनुमान जी की पूजा-अर्चना अभिषेक, आराधना, आरती की। बहुत से भक्तों ने व्रत रखा तो बहुत से लोग गरीबों को भोजन वितरण किया।

छांछी कुआं हनुमान मंदिर इतिहास

राजधानी का प्रमुख मेडिकल कॉलेज चौराहा स्थित छांछी कुआं हनुमान मंदिर जहां पर श्री  रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी इस मंदिर में दर्शन कर चुके हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर के पुजारी कमलेश तिवारी ने मंदिर की विशेषता बताते हुए कहा कि मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को सिर्फ मंदिर के कुएं के जल से स्नान कराया जाता है। राम दरबार के नीचे हनुमान जी की मूर्ति विराजमान है।

ऐसी मान्यता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व किसी संत का कमंडल कुएं में गिर गया था। कमंडल को निकालने के समय पहले कुएं से छांछ निकली बाद में हनुमान जी की मूर्ति निकली। जिससे इस मंदिर का नाम छांछी कुआं हनुमान मंदिर पड गया। उन्होंने बताया कि कुएं में 27 तीर्थों का जल मिला है।

नया हनुमान मंदिर

बात अलीगंज के नए हनुमान मन्दिर की करें तो वह करीब ढाई सौ वर्ष पुराना है। अलीगंज का नया हनुमान मन्दिर को बेगम के सिपहसालार जठमल ने बनवाया था। यहां पर हुई खुदाई में निकली मूर्तियों को हाथी पर रखकर इमामबाड़े के पास नए मन्दिर में स्थापित करने के लिए ले जाया जा रहा था। लेकिन हाथी यही पर रूक गया। काफी कोशिश की लेकिन हाथी उठा नही। बाद में साधू संतों ने बेगम को बताया कि गोमतीपार का क्षेत्र लक्ष्मण जी का है। यहां से हनुमान जी जाना नही चाहते है। फिर मूर्तियों को यही पर स्थापित किया गया। बाद में महमूदाबाद के राजा ने मन्दिर के लिए जमीन दी जहां पर आज तक मेला लगता आ रहा है।

हनुमान सेतु मन्दिर

1960 की बाढ़ में बाबा नीम करौरी आश्रम स्थित हनुमान मन्दिर मे बजरंगबली की मूर्ति छोड़कर बाकी सब बह गए। जिसे भूमि अधिग्रहीत कर दोबारा स्थापित कराया गया। जिसमें बाबा की दूरदर्शिता का पुट नजर आता है। बाबा ने मूर्ति का मुख्य सड़क की ओर कराया जिससे आने वाले भक्तों को आसानी से दर्शन हो सके।

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