आलोक वर्मा, जौनपुर, ब्यूरो।
मौसम के उलटफेर में चेचक का बढ़ रहा प्रकोप
: मौसम के उलटफेर से जनपद चेचक की चपेट में है। थूक, खांसी और सांस के संपर्क में आने से रोग फैलता है। जिस व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उसमें यह गंभीर रूप धारण कर लेता है। हर साल तापमान बढ़ने के साथ ही चेचक का प्रकोप बढ़ जाता है।। इसकी चपेट में हजारों बच्चे व नौजवान इसकी चपेट में आ जाते हैं। अंध विश्वास के चलते पीड़ित चिकित्सक के पास न जाकर झाड़-फूंक व धार-दहेड़ी देने में जुट जाता है। जिससे स्थिति और भयावह हो जाती है।
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जानें रोग के बारे में:-
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स्माल पाक्स (बड़ी माता):- चेचक में सबसे खतरनाक स्माल पाक्स (बड़ी माता) है। इसमें मौत की संभावना अधिक होती है। इसकी चपेट में आने वाले व्यक्ति की कभी-कभी आंख भी फूट जाती है। सबसे कम सजा दाग के रूप में मिलती है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि मई 1976 के बाद पूरे विश्व में बड़ी माता से पीड़ित कोई व्यक्ति नहीं मिला।
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चिकन पाक्स (दक्षिणिया माता):-
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चेचक का दूसरा रूप चिकन पाक्स है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में दक्षिणिया माता भी कहते हैं। आमतौर पर यह जानलेवा नहीं होता। इससे पीड़ित बड़े लोगों की कभी-कभी मौत हो जाती है। तेज बुखार, सिर दर्द, आंख, कान से पानी बहना और शरीर में पानी भरे दाना निकलना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। इससे बचाव का मुख्य उपाय टीकाकरण है। पंद्रह माह से ऊपर के बच्चों को इसके टीके लगते हैं।
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मिजिल्स (छोटी माता):-
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चेचक का तीसरा प्रकार मिजिल्स है। इसे छोटी माता कहते हैं। इसका प्रकोप बच्चों में अधिक होता है। तीन-चार दिन तक तेज बुखार आने के बाद पूरे शरीर में छोटे-छोटे दाने निकल जाते हैं। आंखें लाल होने के साथ ही पानी भी निकलने लगता है। कुपोषित बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते हैं। ऐसे बच्चे निमोनिया, कान बहना और डायरिया की गिरफ्त में आ जाते हैं। इन बच्चों में टीबी के कीटाणु अधिक प्रभावित करते हैं।
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ऐसे करे बचाव
वैरिसेला नामक वायरस के कारण यह बीमारी होती है। टीकाकरण चेचक से बचाव का प्रमुख उपाय है। मिजिल्स के टीके सरकारी अस्पतालों में मुफ्त लगते हैं। पीड़ित व्यक्ति को पानी उबाल कर पिलाएं। घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर के अन्य सदस्यों को पीड़ित से दूर रखें। पीड़ित अगर बच्चा है तो स्कूल न जाने दें। पीड़ित को ठंडी चीजें खाने को न दें। तेज बुखार, बेहोश या निमोनिया के लक्षण दिखने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें और बचाव के लिए टीके लगवाएं। प्रोटीनयुक्त और सादा भोजन सेवन करें। तेज बुखार होने पर पैरासीटामाल, एंटीप्रोराइटिक दवा दें।
डॉक्टर मुकेश शुक्ला
बाल रोग विशेषज्ञ
तीर्थराज हॉस्पिटल, कालीचाबाद