ब्यूरो,
उत्तर प्रदेश राजस्व विभाग के नाकामी के कारण कानपुर देहात में दर्द भरी घटना , गांवों और शहरों में नवीन परती भूमि है जिन जमीनों पर लोगों की 5 पीढ़ियों से निवास करती आ रही हैं, आजादी के पहले से, पहले विश्वास पर लोग टिके रहते थे लेकिन राजस्व विभाग का विश्वास डगमगा गया, जब निवास करने वाले लोगों ने लेखपालों से कहते थे कि इस जमीन का आबादी में दर्ज कर दीजिए तो, लेखपाल कहते थे चिंता क्यों कर रहे हो अब अंग्रेज थोड़ी आ रहे हैं, कि रहने में आपको दिक्कत है होंगी , लेकिन राजस्व विभाग की नजरों में यहां के लोग बांग्लादेशी दिखने लगे , गलती किया चकबंदी विभाग ने चकबंदी जब हो रही थी तो चकबंदी अधिकारियों ने आबादी दर्ज न करके नवीन भूमि प्रति दर्ज कर दिया , और अब राजस्व विभाग उसका मालिक हो गया, अब उनका क्या होगा जो लोग 70 से 80 साल से रह रहे हैं , उत्तर प्रदेश राजस्व विभाग सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया का आदेश मानने के लिए भी बाध्यकारी नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने कहा है कि सरकारी जमीनों पर जो लोग मकान बनाकर 15 साल से निवास कर रहे हैं उसके वही मालिक होंगे , और जिला अधिकारियों के बयान सुन लीजिए तो लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को कोर्ट पर ताले बंद करने पड़ेंगे, क्योंकि अधिकारी अपने-अपने तरह से व्याख्या कर रहे हैं और कह रहे हैं कि परिस्थितियों के हिसाब से , आए दिन लोगों के मकान उजाड़े जा रहे हैं और बुलडोजर के नाम पर उनको दहशत में जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है, कानपुर देहात में इतनी बड़ी घटना घट गई , उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए की सर्वे कराए और सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के गाइडलाइन के हिसाब से जो लोग निवास कर रहे हैं उन लोगों के जमीन को आबादी दर्ज कराएं