ब्यूरो,
जेएनयू की नई वाइस चांसलर प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित के नाम से बने अनवेरिफाइड ट्विटर अकाउंट से किए गए ट्वीट को लेकर बवाल हो गया। इस ट्विटर हैंडल से जामिया मिल्लिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को ‘सांप्रदायिक परिसर’ बताया गया था और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ‘दिमागी रूप से बीमार जिहादी’ बताया गया था। प्रोफेसर धुलीपुडी ने स्पष्ट किया है कि उनका कोई ट्विटर अकाउंट नहीं है। ये ट्वीट किसी ने फर्जी अकाउंट बनाकर किए थे। उन्होंने एक अखबार से बात करते हुए कहा, ‘मेरा कभी कोई ट्विटर अकाउंट नहीं था। हो सकता है कि जेएनयू के अंदर के ही किसी शख्स ने यह सब किया हो क्योंकि मैं यहां पहली महिला वीसी हूं और इससे बहुत सारे लोग खुश नहीं हैं।’
प्रोफेसर पंडित ने कहा, मेरी बेटी साइबर सिक्यॉरिटी इंजिनियर है। मेरा कभी कोई ट्विटर अकाउंट नहीं रहा। 6 साल पहले उसने मेरे सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए थे। तब से मैं सोशळ मीडिया का इस्तेमाल नहीं करती। उन्होंने कहा, इस ट्वीट के बारे में तभी पता चला जब उसके स्क्रीनशॉट आने लगे। मैं ट्विटर पर नहीं हूं इसलिए जल्दी पता भी नहीं चल पाया।
उन्होंने कहा, ‘आखिर मुझे क्यों निशाना बनाया जा रहा है। मेरे साथ प्रेस मे भी बुरा व्यवहार हो रहा है। मैंने क्या अपराध कर दिया है। केवल इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने लेफ्ट को धराशायी कर दिया और वे ऐसा नहीं कर सके।’ अपने काम करने के तरीके पर उन्होंने कहा, ‘मैं भी यहां की स्टूडेंट रही हूं। जेएनयू मेरे लिए मां की तरह है। यहां सब लोकतांत्रिक तरीके से होगा। यहां सभी विचारधाराओं का सम्मान होना चाहिए।’प्रोफेसर पंडित पूर्व वीसी एम जगदीश की जगह जेएनयू की कुलपति बनी हैं। वह इससे पहले पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट में प्रोफेसर थीं। उनके पिता लेखक और पत्रकार थे और मां भी प्रोफेसर थीं। उन्होंने मद्रास ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज से किया था। इसके बाद एमफिल और पीएचडी जेएनयू से किया। वह शिक्षा के क्षेत्र में 1988 से कार्यरत हैं।