ब्यूरो,
हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की चुनाव तिथियां की घोषणा को चुनौती दी गई है। इसका आधार यह है कि Representation of People Act 1951 की धारा १५(१) यह प्राविधान करती है कि विधानसभा चुनाव विधानसभा भंग होने पर या विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने पर कराया जायेंगे।
इसी धारा में यह भी कहा गया है कि विशेष परिस्थितियों में चुनाव आयोग को यह अधिकार होगा कि वह विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के छः महीने के भीतर चुनाव करा सकता है।
कानून में यह व्यवस्था करके चुनाव आयोग को यह अधिकार दिया गया था कि वह climatic conditions को ध्यान में रखते हुए विधानसभा चुनाव विधानसभा भंग हुए बिना या विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हुए बिना चुनाव करा सकता है।
संबिधान में यह भी व्यवस्था है कि विधानसभा के दो सत्रों के बीच में छ महीने से ज्यादा का समय नहीं होना चाहिेए और इसलिए जब मौजूदा विधान सभा की अंतिम बैठक 19 दिसंबर को हुई थी तो राज्य की नई विधानसभा की बैठक 18 जून तक हो जाय, इतनी ही कानून की मंशा है और जून तक विधानसभा का चुनाव तब भी हो सकता है जब मई में भी चुनाव अधिसूचना जारी हो।
प्रश्न उठाया गया है कि जब मौजूदा विधान सभा का कार्यकाल 14 मई तक है तब क्यों चुनाव आयोग ने ऐसे समय चुनाव कराने का निर्णय लिया जब कोरोनावायरस का प्रभाव काफी अधिक है, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के जज Vertual mode से मुकदमे सुन रहे हैं। कोरोनावायरस का विस्तार रोकने के लिए रात्रि कर्फ्यू लगा हुआ है। पंचायत चुनाव में हमारे हजारों कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है। जाड़ों का मौसम, रात्रि में कुहासा चरम पर होने के कारण रास्ता नहीं दिखता। दिन में देर तक कोहरा छाया रहता है तो ऐसी स्थिति में विधानसभा का चुनाव कार्यालय समाप्त होने के दो महीने पहले कराना अनुचित और असंवैधानिक है।
जहां तक अन्य राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव का प्रश्न है, उसके बारे याचिका में कहा गया है कि उन चारों विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च में समाप्त हो रहा है इसलिए वहां पर तो चुनाव कराने में कोई बुराई नहीं है लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव अभी कराना गलत है और इस कारण उस पर रोक लगाई जाय और चुनाव आयोग को यह आदेश दिया जाय कि वह चुनाव अप्रैल व मई में सम्पन्न कराए।
इस याचिका में यह भी कहा कि चुनाव आयोग को विशेष परिस्थितियों में कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व चुनाव कराने का तो अधिकार है लेकिन उसे विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल को समाप्त करने का अधिकार नहीं है। मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही जब नई विधानसभा का गठन होना है तो कार्यकाल समाप्त होने के दो माह पूर्व चुनाव करा कर रखने का क्या तुक है।