ब्यूरो नेटवर्क
सुपरटेक एमरॉल्ड: अफसरों के खिलाफ एफआईआर की तैयारी, एसआईटी आज शासन को सौंप सकती है रिपोर्ट
सुपरटेक एमरॉल्ड मामले में एसआईटी सोमवार को शासन को रिपोर्ट सौंप सकती है। रविवार को छुट्टी के दिन भी एसआईटी के सदस्य रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में जुटे रहे। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद मुख्यमंत्री इस मामले में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर फैसला लेंगे। इस मामले में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की भी तैयारी शुरू हो गई है। इसी सप्ताह एफआईआर दर्ज हो सकती है।
सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड में बने अवैध टावरों को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को फैसला सुनाया था। यह फैसला सुनाते समय इन टावरों को बनवाने की मंजूरी देने वाले अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए भी कहा गया था। कोर्ट के इस सख्त फैसले के बाद इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही और उनकी पहचान करने के लिए नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने दोनों एसीईओ की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी थी।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में आठ अधिकारियों को दोषी माना था जिनमें नियोजन विभाग के छह, ग्रुप हाउसिंग के एक और वर्क सर्किल विभाग के एक परियोजना अभियंता शामिल थे। इसी बीच मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। एसआईटी के हेड संजीव मित्तल के नेतृत्व में टीम के सदस्यों ने सोमवार से आकर यहां शुरू की। गुरुवार को एसआईटी जांच कर लौट गई। शुक्रवार को एसआईटी के साथ आया स्टाफ भी चला गया।
अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब सोमवार को एसआईटी शासन को रिपोर्ट सौंप सकती है। लखनऊ में रविवार को एसआईटी के हेड ने सभी सदस्यों के साथ फाइनल रिपोर्ट तैयार करने को लेकर बातचीत की। यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री तक सोमवार या मंगलवार तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में यह सप्ताह इस प्रकरण में जांच के घेरे में आ रहे अधिकारियों के लिए मुसीबत भरा साबित होगा।
सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में शामिल तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ इसी सप्ताह एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी है। यह एफआईआर नोएडा प्राधिकरण की ओर से कराई जाएगी। जिन बड़े अफसरों का नाम इस प्रकरण में आ रहा है, वे सभी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नोएडा प्राधिकरण के स्तर पर कार्यरत नियोजन विभाग के दो अधिकारी इस समय सेवा में हैं। बाकी भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में एफआईआर के अलावा संबंधित आला अधिकारियों की पेंशन भी रोक दी जाएगी। नोएडा प्राधिकरण में पेंशन का सिस्टम नहीं है। लेकिन उस समय सीईओ, एसीईओ व ओएसडी स्तर के रहे अधिकारी सेवानिवृत्त के बाद इस समय पेंशन का लाभ उठा रहे हैं।
विभागीय कार्रवाई के लिए राज्यपाल से मंजूरी जरूरी
सीईओ-एसीईओ स्तर के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए राज्यपाल स्तर से मंजूरी जरूरी है। मंजूरी के बाद ही किसी प्रकार की कार्रवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। मुख्यमंत्री जब रिपोर्ट का अध्ययन कर लेंगे और इस मामले में कार्रवाई का आदेश देंगे तब इस मामले में आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए उनके संबंधित विभागों में फाइल भेजी जाएगी। इससे पहले राज्यपाल के पास यह रिपोर्ट भेजकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुमति मांगी जाएगी।
आरोपियों की बोली थी तूती
अधिकारिक सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में जिन बड़े अफसरों का नाम सामने आ रहा है, उनकी वर्ष 2007 से 2012 के बीच में नोएडा प्राधिकरण के साथ-साथ पूरे प्रदेश की नौकरशाही में तूती बोलती थी। वे बड़े राजनेताओं के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक थे। अब एसआईटी के जो सदस्य हैं, वे उस समय इस प्रकरण में शामिल रहे अधिकारियों के अंतर्गत काम कर चुके हैं और उनसे जूनियर हैं। ऐसे में इस प्रकरण में शामिल आला अधिकारियों के अपने नाम सामने आने की खबर लग चुकी है। हालांकि, इस मामले पर सीधी नजर सीधे मुख्यमंत्री की है। ऐसे में रिपोर्ट में कुछ भी उलटफेर संभव नहीं है।