ब्यूरो,
लौरेल हुब्बार्ड ने ओलंपिक गेम्स में ट्रांसजेंडर एथलीट बनकर इतिहास रच दिया है। हुब्बार्ड ने कहा कि टोक्यो खेलों में पहली बार खुले तौर पर ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों ने भाग लिया है। मैं जो कुछ भी बनना चाहती हूं, वह मैं हूं। मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे यहां आने का अवसर मिला। न्यूजीलैंड की 43 वर्षीय वेटलिफ्टर ने महिलाओं के लिए निष्पक्षता और जेंडर पहचान को मजबूती दी है। लौरेल हुब्बार्ड ने कहा कि जो खेल मुझे प्रेरित करता है। मुझे लगता है वह गेम ही है। भारोत्तोलन मुझे आकर्षित करता है, क्योंकि मुझे लगता है कि कोई अपने समय में ट्रेनिंग कर सकता है। यह सब करने के लिए हमारे पास एक मिनट का समय है। यह वास्तविक परीक्षा है। हुब्बार्ड ने संवाददाताओं से कहा कि मैं ओलंपिक में मेरी भागीदारी से जुड़े विवाद से पूरी तरह अनजान नहीं हूं। मैं विशेष रूप से आईओसी को आईओसी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे लगता है कि मैं वास्तव में ओलंपिक के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता हूं। हुब्बार्ड ने साल 2017 के विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर और ओशिनिया चैम्पियनशिप 2019 में स्वर्ण पदक जीता है। कुछ पूर्व एथलीटों और महिला अधिकारियों के अधिवक्ताओं का कहना है कि लौरेल को अनुचित शारीरिक लाभ हुआ है। ओलंपिक में उनके होने से महिलाओं के लिए अधिक समानता के संघर्ष को कम कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ ट्रांसजेंडर कार्यकर्ताओं का कहना है कि हार्मोन थेरेपी एथलीटों के प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाती है। पुरुषों और महिलाओं की श्रेणियों के अंदर प्रतियोगियों के बीच पहले से भी काफी शारीरिक अंतर है।