ब्यूरो,
लखनऊ में पकड़े गए आतंकी मिनहाज और मुशीर समेत उनके साथियों को लेकर एटीएस टीम गुरुवार की देर रात कानपुर आई थी। सर्च ऑपरेशन के दौरान छह घरों को निगरानी में लिया गया है। बताया जा रहा है कि घटनाओं को अंजाम देने के बाद आतंकियों ने चमनगंज, नई सड़क और जाजमऊ के इन्हीं घरों में छुपने की योजना बनाई थी।
एटीएस टीम बीते एक सप्ताह से आतंकी मिनहाज और मुशीर से पूछताछ में लगी थी। उसके तीन साथियों लईक, मुस्तकीम और शकील से भी पूछताछ हो रही थी। गुरुवार की देर रात असलहों की सप्लाई को समझने के लिए एटीएस टीम पांचों को शहर लेकर पहुंची। यहां आफाक नाम के संदिग्ध की तलाश थी। कुछ इलाकों में छापेमारी भी की गई। आफाक के जानने वाले लोगों से भी पूछताछ हुई, मगर कोई सुराग नहीं मिला। इसी दौरान एजेंसी को छह घरों का भी पता लगा, जिनके बारे में आतंकियों को तब बताया गया था जब वह असलहा को देखने के लिए कानपुर आए थे।
आतंकियों ने इन्हीं घरों में बैठक करने के साथ प्रदेश के अन्य शहरों में घटना करने के बाद यहीं पर छुपने की योजना थी। एजेंसी ने चमनगंज, नई सड़क और जाजमऊ में इन घरों को चिन्हित किया। इनमें रहने वालों को पूछताछ के लिए बुलाया नहीं गया, मगर इनके घरों के बाहर निगरानी जरूर बड़ा दी गई। सूत्रों के मुताबिक, यहां रहने वाले लोगों का मूवमेंट ट्रैक किया जा रहा है। सम्भवता इनके मूवमेंट से संदिग्ध आफाक के बारे में कुछ सूचना मिल सकती है।
आतंकियों के साथ जिस संदिग्ध आफाक को तलाशने के लिए एजेंसी कानपुर आई थी। उसकी बहुत जानकारी नहीं मिल सकी है। उसकी आखिरी लोकेशन हैदराबाद मिली है। मोबाइल स्विच ऑफ होने से अब वह कहां हैं इसका अंदाजा नहीं लग रहा है। आफाक ने लईक के साथ मिलकर आतंकियों को असलहा दिलवाने का काम किया था। एटीएस को उसके तीन मोबाइल नम्बर मिले थे, जिनकी लोकेशन ट्रेस करने का प्रयास किया गया। दो मोबाइल नम्बर बंद मिले। तीसरा कुछ मिनटों के लिए खुला था, जिसकी लोकेशन हैदराबाद में मिली थी। उसके बाद वह भी बंद हो गया।
एजेंसी को आफाक के डिजिटल फुटप्रिंट्स भी नहीं मिले हैं। फेसबुक, व्हाट्सएप कही पर भी उसका कोई खाता मौजूद नहीं है। यहां तक की गूगल में उसके नम्बर से ब्राउजिंग हिस्ट्री निकालने का प्रयास किया गया तो उसमे भी कुछ नहीं मिला। सूत्रों के मुताबिक, सम्भवता आफाक स्मार्ट फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहा था। इससे ब्राउजिंग हिस्ट्री भी नहीं मिल सकी है।