ब्यूरो,
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के समीप पुरातत्व विभाग की निगरानी में चल रही खोदाई के मलबे से अस्थियों के टुकड़े मिले हैं। मामले में शोध अधिकारी का कहना है कि अस्थि मनुष्य की है या पशु की फिलहाल यह कहना मुश्किल है। अस्थियों की जांच कराई जाएगी, रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
मध्य प्रदेश शासन व महाकाल मंदिर समिति द्वारा मंदिर के आसपास करीब 400 करोड़ रुपये की लागत से सुंदरीकरण व विस्तार कार्य कराया जा रहा है। नवनिर्माण के लिए की जा रही खोदाई में करीब एक हजार साल पुराना मंदिर तथा भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं। पुरासंपदा मिलने के बाद मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर ज्योतिर्लिंग का वैभवशाली इतिहास सहेजने का काम शुरू किया।
बीते डेढ़ माह से शोध अधिकारी डा.धु्रवेंद्रसिंह जोधा के निर्देशन में खोदाई का काम चल रहा है। अब तक खोदाई में मंदिर के जकती (स्तंभ खड़े करने का मुख्य आधार), स्तंभ, मंजरी, छत का हिस्सा, मूर्तियां आदि प्राप्त हो चुके हैं। गुरुवार को मलबे से अस्थियों के टुकड़े भी मिले हैं।
शोध अधिकारी डा. ध्रुवेंद्रसिंह जोधा ने बताया कि पुरातन मंदिर के आसपास करीब सात मीटर ऊंचाई तक मलबा जमा हुआ था। इस मलबे को हटाकर पुरासंपदा निकाली गई है। भराव में हड्डियां भी निकली है, यह जानवर अथवा मनुष्य की है कुछ कहा नहीं जा सकता है। मामले की जानकारी शीर्ष अधिकारियों को दी है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
पुरातत्व विभाग के आयुक्त शिवशेखर शुक्ला के निर्देश पर पुराविद् डा. रमेश यादव के साथ खोदाई स्थल का निरीक्षण करने पहुंचे शोध अधिकारियों को शुरुआत में शुंग व कुषाण काल के पात्र अवशेष भी प्राप्त हुए थे। पुराविदों ने इनका काल करीब 2 हजार साल पुरान बताया था।
गुरुवार को खोदाई स्थल के भराव से अस्थियां मिलने की सूचना के बाद परमहंस संत डा. अवधेशपुरीजी महाराज भी खोदाई स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि 500 पहले आक्रांताओं ने हिंदू मंदिरों का विध्वंस किया था। उस समय वर्ग संघर्ष की स्थिति अवश्य निर्मित हुई होगी। भग्न मंदिर के आसपास अस्थियों का मिलना इस ओर इशारा करता है। यह स्थान साधु संतों की तप स्थली भी रहा है। मंदिर में महानिर्वाणी अखाड़ा होने से यहा साधु संतों की समाधि भी रही होंगी। मध्य प्रदेश शासन व पुरातत्व विभाग को प्राप्त हो रही अस्थियों की जांच कराना चाहिए, ताकि प्राचिन इतिहास का एक ओर पन्ना सामने आ सके।