सूक्ष्मजीव आधारित कृषि पर किसानों को दिया प्रशिक्षण
राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित एससीएसपी परियोजना के अंतर्गत सोमवार को घोसी में ग्रामीण समुदाय के दुर्बल वर्गों के लिए एक दिवसीय इंटरैक्टिव प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
ब्यूरो की प्रधान वैज्ञानिक एवं परियोजना प्रभारी डॉ.रेनू ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में गाँव के एक सौ से अधिक किसानों को फसल उत्पादन में प्रचलित परंपरागत रासायनिक विधियों से अलग हटकर सूक्ष्मजीवों आधारित कृषि पर प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही कृषि अवशेषों की त्वरित कम्पोस्टिंग प्रक्रिया को अपनाने के लिए जैविक एवं उन्नत तौर-तरीकों पर व्यापक रूप से विचार विनिमय किया गया। डॉ.रेनू के अनुसार वर्तमान में रासायनिक-फसल उत्पादन पद्धतियों से छुटकारा दिलाने में भूमिका निभाने वाले नए विकल्पों के रूप में किसानों के सामने सूक्ष्मजीवों के जैविक अनुकल्पों के रूप में ट्राईकोडर्मा, स्यूडोमोनास, पी एस बी, बैसीलस, बीवेरिया, एजोटोबैक्टर, राइजोबियम, माइकोराइजा आदि उपलब्ध हैं। इन विकल्पों को खेती में स्थान देने से मिट्टी और फसल दोनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रखा जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक डॉ पवन कुमार शर्मा के अनुसार कृषि रसायनों से उपजी समस्याओं के समूल निराकरण के लिए सूक्ष्मजीव, गुणवत्तायुक्त कम्पोस्ट और पौध-आधारित प्राकृतिक तत्व अनुकल्पों के रूप में किसानों के द्वारा अपनाए जाएँ, यह समय की मांग है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनपद के किसानों को धीरे धीरे ही सही पर रसायन-आधारित कृषि पद्धतियों से छुटकारा दिलाना है। बदले में सूक्ष्मजीव और अन्य पौध-उत्पादों पर आधारित खेती के उपायों को आत्मसात करके किसान कृत्रिम रसायनों के अधिकाधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों से बच सकते हैं। कार्यक्रम में क्षेत्र व आस पास के गांवों के सैकडों किसान उपस्थित रहे।