दक्षिण अफ्रीका के ग्रीन पेपर में महिला बहुविवाह का प्रस्ताव (South Africa proposal on polyandry) देने के बाद से बवाल मचा हुआ है. इसके विरोधियों के मुताबिक, ऐसे में बच्चे के असल पिता की पहचान के लिए देश में डीएनए टेस्ट (DNA test) ही होते रहेंगे.
दक्षिण अफ्रीका में महिलाओं को कई पति रखने की अनुमति देने का प्रस्ताव (South Africa proposal if women should have multiple husbands) आया है. इससे वहां सोसायटी के दो खेमे हो गए, जिनमें से कई महिला बहुविवाह के पक्ष में हैं, तो कई विरोध में. विरोधी खेमे का कहना है कि इससे सामाजिक व्यवस्था बिखर जाएगी. साथ ही ये तर्क भी आ रहा है कि क्या इसके बाद एक महिला से जुड़े पुरुषों से उसका सरनेम रखने की उम्मीद की जाएगी. वैसे बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में पुरुषों को बहुविवाह (polygamy) की इजाजत है.
संविधान में बराबरी के लिए पहल
दक्षिण अफ्रीका के संविधान को दुनिया के आधुनिकतम संविधानों में रखा जाता है. यहां समलैंगिक शादी और पुरुषों के बहुविवाह को कानूनी मान्यता है. संविधान में बराबरी के अधिकार को और आगे ले जाने के लिए यहां मौजूदा सरकार ने महिलाओं के लिए भी बहुविवाह का प्रस्ताव रखा. अगर ये मान लिया जाता है तो मैरिज एक्ट के तहत महिलाएं भी कानूनी तौर पर कई पति रख सकेंगी.
गोरों का शासन हटने के बाद मैरिज एक्ट भी बदला
दक्षिण अफ्रिका में 1994 में श्वेत शासन खत्म होने के बाद वहां मैरिज एक्ट में काफी सारे बड़े बदलाव हुए. ये बदलाव अफ्रीकन मान्यताओं के मुताबिक किए गए थे. इसी दस्तावेज को वहां ग्रीन पेपर कहा जाता है. अब महिला बहुविवाह को भी ग्रीन पेपर में जोड़ने की पहल हुई. ये पहल वहां के गृह मंत्रालय की है. इसमें मानवाधिकार संस्थाएं भी सरकार का साथ दे रही हैं.
विरोध कर रहे लोग अलग-अलग तर्क दे रहे हैं
वे कहते हैं कि इससे ये पता करना तक मुश्किल हो जाएगा कि किसी बच्चे का असल पिता कौन सा है, जब तक कि डीएनए टेस्ट न कराया जाए. कुछ लोग ये पूछ रहे हैं कि इसके बाद महिलाएं ही घर चलाएंगी या फिर क्या महिला परिवार की मुखिया कहलाएगी और उसका उपनाम पुरुष पति रखेंगे.
और भी कई प्रस्ताव दिए गए हैं
महिला बहुविवाह का प्रस्ताव देने के अलावा ग्रीन पेपर में कई और संशोधन भी किए जा सकते हैं, जैसे नाबालिगों को शादी का अधिकार और उन जोड़ों की शादी मान्य बनाए रखना, जो समान सेक्स चेंज करा लेते हैं लेकिन तलाक लिए बगैर मौजूदा शादी को जारी रखना चाहते हैं.
तिब्बत के कई समुदाय पत्नी साझा करते रहे
महिला बहुविवाह पर हालांकि दक्षिण अफ्रीका में बवाल मचा है लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में इसे मान्यता मिली हुई है. पड़ोसी देश तिब्बत में कई समुदायों में ये प्रथा है. वैसे इसे पत्नी साझा करने की प्रथा की तरह देखा जाता है. इसके तहत एक परिवार में दो या तीन भाइयों की एक ही पत्नी होती है. इसकी एक वजह ये भी रही कि तिब्बत अपने-आप में ही छोटा देश है. ऐसे में खेती-किसानी करने वाले परिवारों में अगर हर लड़के की एक पत्नी हो तो शादी से होने वाले बच्चों और फिर जमीन के वारिसों की समस्या होती. जमीनें या दूसरी संपत्ति कई टुकड़ों में बंट जाती.
विरासत के कारण होने वाले झगड़े कम
बहुपतित्व से वहां के कई समुदायों को उत्तराधिकार में जायदाद के टुकड़े करने से छुटकारा मिला. इसकी एक वजह ये भी रही कि अगर एक भाई किसी वजह से दूर की यात्रा पर निकले तो पत्नी और जमीन की देखभाल के लिए घर पर एक पुरुष सदस्य हो.
शादी की रस्में एक ही भाई के साथ
इस शादी में अजीबोगरीब परंपरा है. जैसे एक ही स्त्री परिवार के दो से तीन भाइयों की पत्नी होती है लेकिन शादी की रस्में सबसे बड़े भाई के साथ ही की जाती हैं. यहां तक कि बाद में होने वाले दूसरे रीति-रिवाजों में भी बड़े भाई के साथ ही पत्नी बैठती है लेकिन घर के भीतर स्त्री के सारे भाइयों से संबंध होते हैं.
बच्चे के जैविक पिता पर कोई बहस नहीं
इस शादी से पैदा संतानों के बारे में किसी भाई को या परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं पता होता है कि बच्चे का जैविक पिता कौन है. ये इस लिहाज से भी बेहतर माना जाता है कि तब बच्चे को सारे ही पिताओं का समान प्यार मिलेगा. कई बार ये पता भी रहे कि बच्चे का जैविक पिता कौन है, तब भी ये बात कही नहीं जाती और बच्चे को सबका समान रूप से प्यार मिलता है.
खत्म हो रही है बहुपतित्व की प्रथा
साल 1959 के आसपास जब वहां के राजनैतिक परिदृश्य बदले, तब जमीन का अधिकार और टैक्स सिस्टम भी नया बना. ओहियो यूनिवर्सिटी में तिब्बत के मामलों के जानकार प्रोफेसर मेलविन गोल्डस्टेन (Melvyn Goldstein) के मुताबिक इसी वक्त देश में बहुपतित्व के खत्म होने की शुरुआत हुई. हालांकि तिब्बत के कई ग्रामीण समुदायों में अब भी ये प्रथा चली आ रही है. वेनेजुएला और ब्राजील में भी बहुपतित्व प्रथा का चलन है.
चीन में भी बात उठती रही
इधर लैंगिक असमानता के चलते चीन में भी कई बार ये बात हो चुकी कि क्या बहुपतित्व को वैधता दे दी जाए. दरअसल चीन में महिला-पुरुष अनुपात इतना चौड़ा है कि वहां शादी की इच्छा के बाद भी पुरुषों को युवतियां नहीं मिल रहीं. वहां 118 लड़कों पर 100 लड़कियां हैं. ऐसे में वहां के बौद्धिक समुदाय के कई लोगों ने तिब्बत का हवाला देते हुए महिलाओं के एक से ज्यादा पति किए जाने की वकालत की थी. ये बात और है कि वहां इसपर भारी विरोध हुआ था और चर्चा रुक गई.