॥ बातें मुलाकातें ॥

व्यर्थ नहीं होतीं बातें मुलाकातें
वह तो अंतःकरण में जड़ें जमाती हुई अंत करती है अंहकार का
एक पगडंड़ी निर्मित करती है बातें
एक दिल से दूसरे दिल तक ।
नई जगह बनाती हुई ।
जहां से रिश्ते धीरे धीरे विसर्जित होने लगते हैं ।
परिस्थिति और हालात के वशीभूत
तब एक पहल एक आरंभ की
अभिलाषा देता है रिश्तो को नया आयाम
ठहरे हुए को गतिमान और
नये मुलाकात को नयी पहचान ॥

आरती मिश्रा …….

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