बेंजामिन नेतन्याहू का इजरायल के पीएम पद से बेदखल होना तय – विपक्षी दलों में गठबंधन पर बनी बात

इजरायल में सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे बेंजामिन नेतन्याहू का सत्ता से बेदखल होना तय माना जा रहा है। बुधवार देर रात विपक्षी दलों के एक समूह ने कहा कि उनकी बीच गठबंधन सरकार बनाने को लेकर सहमति बन गई है। यदि ऐसा होता है तो फिर 12 सालों से इजरायल की सत्ता पर काबिज नेतन्याहू अपदस्थ हो सकते हैं। इजरायल में मध्यमार्गी मानी जाने वाली येश अतिद पार्टी के नेता याइर लापिड ने बुधवार रात 12 बजे की डेडलाइन से ठीक 38 मिनट पहले राष्ट्रपति रेउवेन रिवलिन को इस बात की जानकारी दी कि वे गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में हैं। 

विपक्षी दलों के बीच हुए करार के तहत दो-दो साल के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने का फैसला लिया गया है। करार के तहत यामिना पार्टी के नफ्ताली बेनेट 2023 तक पीएम पद पर रहेंगे और उसके बाद याइर लापिड 2025 तक के लिए कमान संभालेंगे। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक अगले सप्ताह नई सरकार को लेकर इजरायल की संसद में वोटिंग हो सकती है। दो सालों के पहले कार्यकाल के दौरान लापिड विदेश मंत्री के तौर पर कामकाज देखेंगे। एक बयान में लापिड ने कहा, ‘हमारी सरकार इजरायल के सभी नागरिकों के लिए काम करेगी। जो इसके सदस्य हैं, उनके लिए भी और जो खिलाफ हैं उनके लिए भी हम काम करेंगे। इजरायल के समाज को एक करने के लिए हम काम करेंगे।’ 

इस डील के साथ ही बेंजामिन नेतन्याहू के पीएम पद से हटने का रास्ता साफ हो गया है। यदि एक बार फिर से चुनाव होते तो वह कुछ और वक्त तक पीएम रह सकते थे। लेकिन अब विपक्षी दलों के सरकार बनाने पर सहमत होने से ऐसा नहीं हो पाएगा। हालांकि नई सरकार के गठन से पहले गठबंधन दलों को संसद में बहुमत साबित करना होगा। इसके बाद ही नई सरकार और पीएम शपथ ले सकेंगे। दिलचस्प बात यह है कि इजरायल में बन रहे नए गठबंधन में लेफ्ट और राइट दोनों ही पार्टियां शामिल हैं। एक तरफ मेरेत्ज लेफ्ट विंग की पार्टी है तो वहीं यामिना को दक्षिणपंथी दलों में शुमार किया जाता है। 

\यही नहीं इस्लामिक पार्टी यूनाइटेड अरब लिस्ट ने भी इस गठबंधन का हिस्सा बनने पर सहमति जताई है। यह पहला मौका है, जब कोई अरब-इजरायली पार्टी गठबंधन का हिस्सा बन रही है। पार्टी ने सरकार में किसी मंत्री पद की मांग नहीं की है, लेकिन अपने कुछ मुद्दों को लेकर सहमति की बात जरूर कही है। फलस्तीन से लेकर कई अहम मुद्दों पर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद है, लेकिन सभी नेतन्याहू को सत्ता से बाहर करने की रणनीति के साथ एकजुट हुए हैं।

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