//आयुर्वेदिक दोहे//

//आयुर्वेदिक दोहे//
भोजन करें धरती पर, अल्थी-पल्थी मार, चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार।

२ * प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस,
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश।*

पानी में गुड़ डालिए, बीत जाए जब रात, सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात।

धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार दुखती अंखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार।

ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर, कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर।

प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप, बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप।

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार, करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार।

प्रात-दोपहर लीजिए, जब नियमित आहार, तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार।

भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार, डाक्टर, ओझा, वैद्य का, लुट जाए व्यापार।

१० घूंट-घूंट पानी पियो, रह तनाव से दूर, एसिडिटी या मोटापा, होवें चकनाचूर।

११ अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास, पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास।

१२ रक्तचाप बढ़ने लगे, तब मत सोचो भाय, सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड़ दो चाय।

१३ सुबह खाइए कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश, भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश।

१४ देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल, अपच, आंख के रोग संग, तन भी रहे निढाल।

१५ दर्द, घाव, फोड़ा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ, बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ।

१६ सत्तर रोगों को करे, चूना हमसे दूर, दूर करे ये सुस्ती अपच हुजूर।

१७ भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ़, पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड़।

१८ अलसी, तिल, नारियल, घी, सरसों का तेल, यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल।

१९ पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान, श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान।

२० एल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग, आमंत्रित करता सदा, वह अड़तालीस रोग।

२१ फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर, ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर।

२२ चोकर खाने से सदा, बढ़ती तन की शक्ति, गेहूं मोटा पीसिए, दिल में बढ़े विरक्ति।

२३ रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाए, बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाए।

२४ भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड़, अजवान, पत्थर भी पच जाएगा, जानै सकल जहान।

२५ लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान, तुलसी, गुड़, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान।

२६ चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे, ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे।

२७ सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस, अल्पकाल जीवें, करें मुंह से श्वासोच्छ्वास।

२८ सितम गर्म जल से कभी, करिए मत स्नान, घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान।

२९ हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान, सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान।

३० अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर, नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर।

३१ तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग, मिट जाते हर उम्र में, तन में सारे रोग।

३२ पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज, नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज।

३३ बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग, सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग।

३४ दो चम्मच रस प्याजकी,मिश्री सँग पी जाय, पथरी केवलबीस दिन,में गल बाहर जाय।

३५ आधा कप अंगूर रस, केसरजरा मिलाय, पथरी से आराम हो,रोगी प्रतिदिन खाय।

३६ सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औशाम, दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।

३७ भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमकमिलाय, चक्कर आना बंदहों,जो भी इसको खाय।

३८ पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम, खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।

३९ छिलका लेंय इलायची,दो या तीनगिराम, सिर दर्द मुँह सूजना,लगा होय आराम।

४० अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय, मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय।

४१ लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह, जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह।

४२ अजवाइन को पीस लें , नीबू संग मिलाय, फोड़ा-फुंसी दूर हों, सभी बला टल जाय।

४३ बहती यदि जो नाक हो, बहुत बुरा हो हाल, यूकेलिप्टिस तेल लें, सूंघें डाल रुमाल।

४४ अजवाइन को पीसिये , गाढ़ा लेप लगाय, चर्म रोग सब दूर हो, तन कंचन बन जाय।

४५ अजवाइन-गुड़ खाइए, तभी बने कुछ काम, पित्त रोग में लाभ हो, पायेंगे आराम।

४६ ठण्ड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल, नीबू मधु के साथ में, अदरक पियें उबाल।

४७ अदरक का रस लीजिए. मधु लेवें समभाग, नियमित सेवन जब करें, सर्दी जाए भाग।

४८ रोटी मक्के की भली, खा लें यदि भरपूर, बेहतर लीवर आपका, टी.बी भी हो दूर।

४९ गाजर रस संग आँवला, बीस औ चालिस ग्राम, रक्तचाप हिरदय सही, पायें सब आराम।

५० काली मिर्च को पीसकर,घी बूरा संग खाय, नेत्ररोग सब दूर हों,गिद्ध-दृष्टि हो जाए ।

५१ मिट्टी के नव-पात्र में,त्रिफला रात्रि में डाल , रोज़ सवेरे धोय के,नेत्ररोग को टाल ।

५२ ताम्र के एक पात्र में, घमिरा रस को निचोय , रूई साफ भिगोय के,लीजे छांह सुखाय ।

५३ सरसों तेल मिलाय के,आग में देहु जलाय , ढकिए थाली फूल की,काजल लेहु बनाय ।

५४ कालिख सरसों तेल में,घिसै उंगली डार , ऐसे सरल उपाय सो,काजल करो तैयार।

५५ रतौंधी धुंधी खुजली या नेत्र लाल पड़ जाए , बढ़े रोशनी आंख की,सारे रोग नसाय ।

५६ आंख-कान के मध्य में चूना लेप लगाय , आई आंख अच्छी करे और ललाई जाय ।

५७ भुनी फिटकरी लीजिए,जल गुलाब में घोल , आंखों की जलन मिटे,ये वैद्य के बोल ।

५८ केशर शहद मिलाय के,नेत्रन माहि लगाय, लाली और गरमी मिटै,रोग रतौंधी जाय ।

५९ बरगद के दूध में घिस,कपूर लगाओ नैन , फूली मिटे छोटी-बड़ी,और पाओ सुख चैन।

६० शुद्ध शहद में लीजिए,सेंधा नमक मिलाय , थोड़े दिन ही लगाइए,फूली देत मिटाय।

६१ लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह, जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह।

६२ प्रातः संध्या पीजिए, खाली पेट सनेह, जामुन-गुठली पीसिये, नहीं रहे मधुमेह।

६३ सात पत्र लें नीम के, खाली पेट चबाय, दूर करे मधुमेह को, सब कुछ मन को भाय।

६४ सात फूल ले लीजिए, सुन्दर सदाबहार, दूर करे मधुमेह को, जीवन में हो प्यार।

६५ तुलसीदल दस लीजिए, उठकर प्रातःकाल, सेहत सुधरे आपकी, तन-मन मालामाल।

६६ थोड़ा सा गुड़ लीजिए, दूर रहें सब रोग, अधिक कभी मत खाइए, चाहे मोहनभोग।

६७ अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय, मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय।

६८ दस्त अगर आने लगें, चिंतित दीखे माथ, दालचीनि का पाउडर, लें पानी के साथ।

६९ कंचन काया को कभी, पित्त अगर दे कष्ट, घृतकुमारि संग आँवला, करे उसे भी नष्ट।

७० बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग, सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग।

७१ बीस मिली रस आँवला, हल्दी हो एक ग्राम, सर्दी कफ तकलीफ में, फ़ौरन हो आराम।

७२ नीबू बेसन जल शहद, मिश्रित लेप लगाय, चेहरा सुन्दर तब बने, बेहतर यही उपाय।

७३ मधु का सेवन जो करे, सुख पावेगा सोय, कंठ सुरीला साथ में, वाणी मधुरिम होय।

७४ पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज, नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज।

७५ ठण्ड अगर लग जाय जो नहीं बने कुछ काम, नियमित पी लें गुनगुना, पानी दे आराम।

७६ कफ से पीड़ित हो अगर, खाँसी बहुत सताय, अजवाइन की भाप लें, कफ तब बाहर आय।

७७ अजवाइन लें छाछ संग, मात्रा पाँच गिराम, कीट पेट के नष्ट हों, जल्दी हो आराम।

७८ छाछ हींग सेंधा नमक, दूर करे सब रोग, जीरा उसमें डालकर, पियें सदा यह भोग।

७९ ऐलोवेरा-आँवला, करे खून में वृद्धि, उदर व्याधियाँ दूर हों,जीवन में हो सिद्धि।

८० जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय, दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।

८१ मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल, मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय तत्काल।

८२ पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम , खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।

८३ छिलका लेंय इलायची,दो या तीनगिराम, सिर दर्द मुँह सूजना,लगा होय आराम।

८४ अरण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिकमिलाय, बार-बार तिल पर घिसे,तिलबाहर आ जाय।

८५ गाजर का रस पीजिये,आवश्कतानुसार, सभी जगह उपलब्धयह,दूर करे अतिसार।

८६ खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाकपकाय, दूर करेगा अर्शको,जो भी इसको खाय।

८७ रस अनार की कली का,नाक बूँद दो डाल, खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।

८८ भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमकमिलाय, चक्कर आना बंदहों,जो भी इसको खाय।

८९ मूली की शाखों का रस,ले निकालसौ ग्राम, तीन बार दिन में पियें,पथरी से आराम।

९० एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रसचौलाइ, चीनी सँग लें बीसदिन,पथरी दे न दिखाइ।

९१ खीरेका रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम, लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।

९२ बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिनगर खाय, गल-गल करकेआपकी,पथरी बाहर आय।

९३ लेकर कुलथी दाल को,पतली मगरबनाय, इसको नियमित खायतो,पथरी बाहर आय।

९४ दामिड़ (अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूरबनाय, सुबह-शाम जल डाल कम,पी मुँह बदबू जाय।

९५ चूना घी और शहद को, ले सम भागमिलाय, बिच्छू को विष दूर हो,इसको यदि लगाय।

९६ गरम नीर को कीजिये, उसमें शहदमिलाय, तीन बार दिन लीजिये,तो जुकाम मिट जाय।

९७ अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करेंअगर उपयोग, दूर आपसे होयगा, कफऔ खाँसी रोग।

९८ ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दसग्राम, पेट दर्द से पायँगे, कुछ पलका आराम।

९९ बहुत सहज उपचार है, यदि आग जलजाय, मींगी पीस कपास की, फौरनजले लगाय।

१०० रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करेंभुरकाव, जल्दी ही आराम हो, होयजहाँ पर घाव।

१०१ नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम, गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से आराम।

१०२ दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीमका पात, रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो प्रात।

१०३ मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम, पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई हकीम।

१०४ हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय।

१०५ सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै।

१०६ जीवन में है स्वास्थ्य के तीन प्रमुख आयाम, पौष्टिक भोजन, संयमी और प्रतिदिन व्यायाम।

१०७ प्रात: जल सेवन करें, और दोपहर में छाछ, दूध गुनगुना रात्रि में व्याधि न आती पास।

१०८ हरी, बरी और करी है, शत्रु स्वास्थ्य के तीन, विजय मिले जो इन्द्रियों, को रखे निज आधीन।

१०९ पेय पदार्थो में सभी, जल होता है श्रेष्ठ, जल जीवन है सभी का, जीव जन्तु या सृष्टि ।

११० सूर्योदय से पूर्व जल, पीता तीन गिलास, वैद्य कभी आते नहीं, उस मानव के पास।

१११ नकारात्मक सोचना, और मानसिक तनाव, दे जाते बीमारियाँ, हमें थोक के भाव।🙏🙏🙏 जय श्रीराम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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