ट्रैफिक व्यवस्था दयनीय क्यों
लखनऊ। ट्रैफिक पुलिस विभाग अपनी जिम्मेदारी और उसके निर्वहन में लगभग नाकाम से दिखती है। क्योंकि लखनऊ शहर में सीवेज मरम्मत कार्य चल रहा है, किंतु उन रास्तों से गुजरने वाले वाहनों के सुचारू संचालन की कोई भी प्लानिंग या पूर्व सूचना कहीं पर नहीं दिखती।
संसाधन कम हो सकते हैं किंतु तैयारी में कमी करने का क्या औचित्य?
गौरतलब है यदि वाहनों के कागजों की जांच करनी हो, क्रेन से उठाकर ले जाना हो ताकि जुर्माना लगाया जा सके तो यही विभागीय ट्रैफिक कर्मचारी बहुत ही तत्पर, चुस्त, इच्छुक व प्रसन्नचित्त नजर आते हैं। ये सिर्फ जांच अधिकारी की तरह कार्य करना चाहते हैं, सुविधादाता या सहयोगी के रूप में नही।
राजधानी लखनऊ को तो मॉडल व्यवस्था के रूप में स्थापित करना चाहिए, ताकि प्रदेश के बाकी के 74 अन्य जिलों से जब कोई संबंधित विभागीय प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी या सेवा प्रदाता लखनऊ आए तो उसको प्रेरणा मिले, उसको अंतर्दृष्टि प्राप्त हो कि किस तरीके से वह इस अच्छी व्यवस्था को उन दूरदराज इलाकों में भी संचालित कर सकता है।
शासन के वरिष्ठ अधिकारियों, जिम्मेदारों को इस पर जरूर गहन विचार और जवाबदेही निर्धारित करनी चाहिए।