कृषि कानूनों का चुनावों पर कितना होगा असर – क्या यह मुद्दा वोट की राजनीति है?

नए कृषि संबंधी कानूनों को लेकर किसान नाराज हैं। देश के कई हिस्सों में किसान और विपक्षी पार्टियां इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब में कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेते हुए ऐलान किया कि सत्ता में आते ही इन कानूनों को खत्म कर दिया जाएगा। पार्टी इनके खिलाफ हस्ताक्षर भी जुटा रही है। कांग्रेस के तेवर से साफ है कि पार्टी कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ लड़ाई को लंबा खींचना चाहती है। बिहार विधानसभा और मध्य प्रदेश उपचुनावों में पार्टी इन कानूनों को चुनावी मुद्दा बनाएगी। मध्य प्रदेश उपचुनावों में कांग्रेस को इसका कुछ सियासी लाभ भी मिल सकता है। पर कृषि संबंधी कानूनों का एक साल बाद होने वाले विधानसभा या अगले लोकसभा पर असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि, आंदोलन करने वाले किसानों की दूसरी पहचान भी होती है।

चुनाव के वक्त जब वोट देने की बात होती है, तो उस वक्त कई फैक्टर होते हैं। किसान के साथ उसकी दूसरी पहचान भी होती है। वह किसी पार्टी का कार्यकर्ता या समर्थक होने के साथ किसी जाति या समुदाय से भी ताल्लुक रखता है। चुनाव के माहौल में यह सब किसान की पहचान पर हावी हो जाती है। वह किसी अन्य पहचान पर वोट करता है और किसान फैक्टर पीछे रह जाता है। यही वजह है कि किसान व कृषि से जुड़े मुद्दों का बहुत कम सियासी असर होता है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐलान किया है कि सत्ता में आते ही इन कानूनों को खत्म कर देंगे। लोकसभा चुनाव में अभी तीन साल का वक्त है। ऐसे में तीन साल तक इस मुद्दे को बरकरार रखना मुश्किल है। क्योंकि, वक्त के साथ मुद्दे आएगे और जाएगें। सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ डेवलेपमेंट सोसाइटीज (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि किसान आंदोलन के वोट में बदलने की संभावना बहुत कम है। क्योंकि, किसान की कई पहचान है।

संजय कुमार कहते हैं कि किसान की एक से अधिक पहचान होती है। मतदान के वक्त कई फैक्टर काम करते हैं। ऐसे में वह एक किसान के तौर पर वोट करेगा, इसकी संभावना कम होती है। उन्होंने कहा कि कई आंदोलनों में देखा गया कि किसान सिर्फ कृषि से जुड़े मुद्दों पर वोट नहीं करता है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव में थोड़ा का झुकाव दिखाई पड़ा था। ऐसे में यह राजनीतिक मुद्दा तो हो सकता है। इस पर लोग इकठ्ठा हो सकते हैं। पर वोट के निर्णय पर प्रभाव नहीं डालता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *