राज्यसभा में हंगामे पर राजनाथ सिंह का विपक्ष पर करारा वार

राज्यसभा में हंगामे के बीच रविवार को पारित करवाए गए किसानों से संबंधित दो बिलों पर कई मंत्रियों समेत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। सदन में विपक्ष के हंगामे पर राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां तक मुझे पता है, लोकसभा या राज्यसभा के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है। राज्यसभा में ऐसा होना और भी बड़ा मामला है। उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अफवाहों के आधार पर किसानों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि जो सदन में हुआ, वह उसकी गरिमा के खिलाफ था। इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने खुद को किसान बताते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य सिस्टम के जारी रहने का भी भरोसा दिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘आज राज्यसभा में जो हुआ वह दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक था। सदन में चर्चा की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी होती है, लेकिन विपक्ष का यह भी कर्तव्य है कि वह अनुशासन बनाए रखे।’ विपक्ष द्वारा उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने पर रक्षा मंत्री ने कहा कि चेयरमैन को नोटिस दिया गया है और वे ही फैसला लेंगे। मैं उसपर कोई भी राजनैतिक टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। 

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं भी एक किसान हूं और मैं देश के किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और एपीएमसी सिस्टम समाप्त नहीं होने जा रहा है।’ 

As far as I know, this has never happened in the history of Lok Sabha or Rajya Sabha. This happening in Rajya Sabha is an even bigger matter. Attempts are being made to mislead the farmers on the basis of rumours. What happened is against the decorum of House: Defence Minister https://t.co/

वहीं, इन बिलों के खिलाफ मोदी सरकार से इस्तीफा देने वालीं शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की सांसद हरसिमरत कौर पर पूछे गए एक सवाल पर सिंह ने कहा कि हर फैसले के पीछे राजनैतिक वजह होती हैं। मैं उनके इस फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं।

विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच राज्यसभा ने रविवार को दो प्रमुख कृषि विधेयकों को पारित कर दिया। हंगामे के दौरान विपक्षी सदस्यों ने उपसभापति के आसन की ओर रुख करते हुए उनकी ओर नियम पुस्तिका को उछाला, सरकारी कागजातों को फाड़ डाला और मत विभाजन की अपनी मांग को लेकर उन पर दबाव बनाने का प्रयास किया। उच्च सदन में हुए हंगामे के कारण थोड़े समय के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। सरकार ये विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित कर चुकी है। इस प्रकार इन विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल गई है जिन्हेंअब राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जायेगा।

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