राजस्थान के पाली जिले के बाली उपखंड के कागड़दा गांव पूरी तरह सिलकोसिस नामक बीमारी की गिरफ्त में है। गांव के हर घर में कोई न कोई जीवन की अंतिम सांसें गिन रहा है। गांव में कई महिलायें ऐसी भी हैं, जो 20 साल की उम्र भी पार नहीं कर पाई है और विधवा हो गई। गांव में 100 से ज्यादा ऐसे युवक हैं जो हर पल अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं। इस बीमारी से गांव में अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
दरअसल, इस गांव के युवाओं ने अपना पेट पालने के लिए पत्थर कटाई का काम पकड़ा था। इस काम से पैसा तो आने लगा, साथ ही उनके घरों में सिलकोसिस बीमारी ने भी डेरा डाल दिया। इस बीमारी से अब गांव में वीरानी छा गई है। पिछले कईसालों से यह गांव इस बीमारी से उबर नहीं पा रहा है। गांव के लोगों में इस बीमारी का खौफ इतना हो गया है कि वे अस्पताल जाकर अपनी जांच तक नहीं करवा रहे हैं। यहां कई युवक हैं जो शादी की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन कोई उन्हें अपनी बेटी देने को तैयार नहीं है।
पाली के बाली और रायपुर उपखंड के कई गांव हैं, जहां कच्चे पत्थर के खदान में पत्थर घिसाई एवं कटाई का काम करने के लिए लोग मजदूरी करते हैं। सुरक्षा उपकरणों के अभाव में पत्थरों से उड़ने वाली डस्ट से ये लोग धीरे-धीरे सिलिकोसिस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। उन्हें खुद भी इस बीमारी का पता नहीं चलता। धीरे-धीरे उनके शरीर में जब सिलिकोसिस के लक्षण नजर आने लगते हैं तब तक हालात बेकाबू हो जाते हैं और वे मौत के मुहाने पर आ जाते हैं।
पिछले 5 साल से यह सिलसिला शुरू हुआ है। हाल ही में राज्य सरकार ने सिलकोसिस नीति लाई है। सिलिकोसिस के मरीजों के लिए आर्थिक सहायता के कई रास्ते खोले गए हैं। इनके लिए पेंशन की व्यवस्था भी की गई है।