1 सितंबर से शुरू होंगे पितृ पक्ष, जानिए तिथि, श्राद्ध के नियम, विधि और महत्व!

1 सितंबर से शुरू होंगे पितृ पक्ष, जानिए तिथि, श्राद्ध के नियम, विधि और महत्व!

निर्णय सागर पञ्चाङ्ग के अनुसार पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं. इनकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है और समापन अमावस्या पर होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर साल सितंबर के महीने में पितृ पक्ष की शुरुआत होती है.

1 सितंबर से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध.

 पितृ पक्ष के दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. माना जाता है कि यदि पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी परेशानियों और तरह-तरह की समस्याओं में पड़ जाता है और खुशहाल जीवन खत्म हो जाता है. साथ ही घर में भी अशांती फैलती है और व्यापार और गृहस्थी में भी हानी होती है. ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना बेहद आवश्यक माना जाता है. 

श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है और पिंड दान और तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है. 

2020 में कब है पितृ पक्ष
हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं. इनकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है और समापन अमावस्या पर होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर साल सितंबर के महीने में पितृ पक्ष की शुरुआत होती है. आमतौर पर पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है. इस साल पितृ पक्ष 1 सितंबर से शुरू हो कर 17 सितंबर को खत्म होगा. 

1 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध,
2 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध,
3 सितंबर- द्वितीया का श्राद्ध,
5 सितंबर- तृतीया का श्राद्ध,
6 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध,
7 सितंबर- पंचमी का श्राद्ध,
8 सितंबर- षष्ठी का श्राद्ध,
9 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध,
10 सितंबर- अष्टमी का श्राद्ध, 11सितंबर- नवमी का श्राद्ध,
12 सितंबर- दशमी का श्राद्ध,
13 सितंबर- एकादशी का श्राद्ध,
14 सितंबर- द्वादशी का श्राद्ध,
15 सितंबर- त्रयोदशी का श्राद्ध,
16 सितंबर- चतुर्दशी का श्राद्ध,
17 सितंबर- अमावस का श्राद्ध.

पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है. हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जाना बेहत जरूरी माना जाता है. माना जाता है कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. वहीं ये भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने से वो प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. ये भी माना जाता है कि पितृ पक्ष में यमराज पितरो को अपने परिजनों से मिलने के लिए मुक्त कर देते हैं. इस दौरान अगर पितरों का श्राद्ध न किया जाए तो उनकी आत्मा दुखी व नाराज हो जाती है. 

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