भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इन दिनों नेताओं की नाराजगी का सामना कर रही है। हाल ही में गुलाम नबीं आजा, कपिल सिब्बल जैसे की वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के आलाकमान सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी और संगठन चुनाव की मांग की थी। हाल में तो उन्होंने यहां तक भी कहा कि अगर कांग्रेस में चुनाव नहीं हुआ तो पार्टी 50 वर्षों तक विपक्ष में ही बैठी रह सकती है। बीजेपी गुलाम नबी आजाद की नाराजगी का फायदा कश्मीर में उठाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस का अंदरूनी घटनाक्रम भी कश्मीर की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। राज्य कांग्रेस के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस नेतृत्व को लेकर तीखे तेवर नए राजनीतिक समीकरण की तरफ बढ़ सकते हैं। भाजपा इस मौके का लाभ उठा सकती है।
हालांकि उसने अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है, लेकिन वह कांग्रेस के इन अंदरूनी मतभेदों को राज्य में अपने पक्ष में बनाने की कोशिश करेगी। भाजपा की नजर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं पर है। जिन्हें वह अपने साथ लाकर राज्य में नई राजनीतिक गतिविधियों को शुरू करना चाहती है।
सूत्रों के अनुसार जल्दी ही जम्मू-कश्मीर के नए उप राज्यपाल मनोज सिन्हा अपने सलाहकार परिषद का गठन करेंगे। इसके बाद राजनीतिक गतिविधियों और भविष्य की तैयारियों का काम शुरू कर दिया जाएगा। हाल ही में भाजपा महासचिव राम माधव ने भी राज्य का दौरा कर वहां के हालात का जायजा लिया है।