ऐसे आसान होगा हरिद्वार, प्रयागराज और वाराणसी का सफर- पयर्टन को मिलेगा बढ़ावा

हरिद्वार, प्रयागराज व वाराणसी का सफर अब ज्यादा सुविधाजनक व आसान होगा। यह तीनों तीर्थस्थल एक रूट पर गंगा एक्सप्रेस-वे से जुड़ेंगे। अब हरिद्वार से लेकर वाराणसी तक करीब 1000 किमी का गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने की तैयारी है। भविष्य में यही एक्सप्रेस वे वाराणसी में लिंक एक्सप्रेस-वे के जरिए पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से जुड़ रहा है।

वर्तमान में गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ से प्रयागराज तक बनना है। इसी हिसाब से यूपी सरकार तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अब मंशा है कि इस एक्सप्रेस-वे को हरिद्वार तक ले जाया जाए। साथ ही प्रयागराज से आगे इसे वाराणसी तक बनाया जाए। मुख्यमंत्री ने इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के बीच मामला होने के कारण इसके लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है। 

साथ उत्तराखंड राज्य का सहयोग भी जरूरी है। चूंकि वर्तमान में केंद्र, उत्तराखंड व यूपी में एक ही दल की सरकार है तो इसलिए यह परियोजना आपसी समन्वय से परवान चढ़ सकती है। संभव है कि इस भारी भरकम प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार आर्थिक मदद भी करे। 

तीन बड़े धार्मिक स्थलों तक एक्सप्रेस वे के जरिए पहुंचने की सुविधा से धार्मिक पर्यटन को खासा बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही उद्योग व कारोबार की रफ्तार भी बढ़ेगी।   असल में सरकार उत्तराखंड सीमा पर टिगरी के पास से 110 किमी का एक्सप्रेस वे मेरठ तक बनाएगी। यह जगह हरिद्वार से जुड़ेगी। प्रयागराज से वाराणसी व आगे बलिया तक जोड़ने के लिए 314 किमी का एक्सप्रेस  वे बनाने की भी योजना बनाई गई है। 

इसी तरह प्रयागराज से आगे गंगा एक्सप्रेस वे वाराणसी तक ले जाने की योजना है। वर्तमान में यूपी सरकार  628 किमी लंबा  एक्सप्रेस वे बनाने जा रही है। इसका रूट, लागत तय हो गई है। अधिग्रहण के लिए जमीन चिन्हित करने का काम चल रहा है। 

मायावती सरकार ने 2008 में गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना लांच की थी। उस वक्त यह 1047 किमी लंबा प्रोजेक्ट था। यमुना एक्सप्रेसवे का पीपीपी माडल पर निर्माण करने वाले जेपी समूह को इस एक्सप्रेस वे के निर्माण का जिम्मा दिया लेकिन इस प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिली। असल में उस वक्त के एक्सप्रेस के रूट से हजारों वर्ग किमी की उपजाऊ जमीन बाढ़ में  चली जाती थी।  साथ हजारों पेड़ काटने पड़ते। उस वक्त भाजपा ने इसी आधार पर इसका विरोध किया था।

अब योगी सरकार ने गंगा एक्सप्रेस वे को गंगा नदी से 10 किमी दूर बनाने का निर्णय लिया। उस वक्त गंगा एक्सप्रेस वे को नोएडा से शुरू कर  बुलंदशहर, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज , फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ, इलाहाबाद, संतरविदास नगर, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर व बलिया तक जाना था। अखिलेश सरकार ने इस परियोजना को  लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं ली। योगी सरकार ने इसका नए सिरे से प्लान बनाया और मेरठ से प्रयागराज तक बनाने का निर्णय लिया क्योंकि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पहले से ही बन रहा है।

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