राजस्थान में सियासी संकट जारी है, लेकिन इस संकट को लेकर कांग्रेस खुद को ही घिरा हुआ महसूस कर रही हैं। पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि अब आगे की रणनीति क्या होगी। पार्टी इस मुद्दे पर राज्यपाल से सीधे टकराव से भी बचना चाहती है।
राजस्थान संकट पर पार्टी की रणनीति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्यपाल की शर्तों को लेकर पार्टी में दो राय है। कुछ नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार को अपनी शर्तों पर कायम रहना चाहिए। जबकि कई दूसरे नेताओं की राय है कि हमे इस वक्त राज्यपाल की 21 दिन की राय को स्वीकार कर लेना चाहिए।
पार्टी का कहना है कि राजस्थान विधानसभा में कई बार 21 दिन से कम के नोटिस पर विधानसभा बुलाई गई है। 12वीं विधानसभा में दो बार, 13वीं विधानसभा में सात, चौदहवीं में एक और 15वीं विधानसभा में भी तीन बार अभी तक 21 दिन से कम के नोटिस पर विधानसभा का सत्र बुलाई गई है।
पार्टी के कई नेता मानते है कि इस लड़ाई को अदालत के बजाए राजनीतिक तौर पर लड़ना चाहिए। पार्टी की चिंता यह है इतने लंबे वक्त तक विधायको को एकजुट रखना मुश्किल होगा। पर पार्टी को यह जोखिम उठाते हुए राजनीतिक तौर पर इस लड़ाई को लड़ना चाहिए।