बसपा के विधायक कांग्रेस में शामिल- मामला राजस्थान हाईकोर्ट में- सुनवाई सोमवार को

राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश महेन्द्र गोयल बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने के मामले में सोमवार को सुनवाई करेंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक मदन दिलावर ने अदालत में इस मामले में याचिका दायर की है। 

दिलावर ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी के समक्ष भी इस मामले में याचिका दायर की थी। विधानसभा अध्यक्ष ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर इसकी इजाजत दे दी थी। नए राजनीतिक घटनाक्रम के तहत विधानसभा सत्र बुलाने का मामला इस मुद्दे पर अदालत का फैसले को देखते हुये टाला भी जा सकता है।

मदन दिलावर द्वारा दायर इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष की ‘निष्क्रियता’ को भी चुनौती दी गई है जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने के उनके अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

विधानसभा अध्यक्ष ने पिछले साल 18 सितंबर को एक आदेश पारित किया था जिसमें घोषणा की गई थी कि छह विधायकों को कांग्रेस का अभिन्न अंग माना जाएगा। बसपा विधायक 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में एक समूह के तौर पर शामिल हुए थे ताकि दल बदल विरोधी कानून के तहत उनपर कोई कार्रवाई न हो।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से किसी दबाव में नहीं आकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि ऐसा नहीं करने पर जनता राजभवन को घेरने आ गयी तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी। एक होटल में ठहरे विधायकों के साथ राजभवन की ओर कूच करने के लिये निकले श्री गहलोत ने पत्रकारों को बताया कि सत्र बुलाने के लिये मैंने राज्यपाल को कल ही पत्र सौंप दिया था और उनसे फोन पर भी बात हुई, लेकिन इस मामले में कोइ जवाब नहीं आया। उन्होंने कहा कि हम सभी विधायक राजभवन जाकर राज्यपाल से सत्र बुलाने की सामुहिक प्रार्थना करेंगे। 

गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी पर राज्य में गंदी राजनीति करने और निचले स्तर पर जाकर सीबीआई और ईडी के माध्यम से दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। उन्होंने पुराना वाकया सुनाते हुए कहा कि दिवंगत भैरोसिंह शेखावत के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में सरकार गिराने के दो बार प्रयास किये गये थे, लेकिन तब मैंने प्रदेशाध्यक्ष होते हुए इस मामले में नहीं पड़ने का फैसला लिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंहराव एवं राज्यपाल बलिराम भगत को भी इस तरह के मामले में हमारे शामिल नहीं होने की जानकारी दी। 

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