विकास दुबे केस में नया खुलासा

कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का गुनहगार विकास दुबे के मारे में पुलिस को नई नई जानकारी मिल रही है। विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने से लोगों के अंदर उसका डर खत्म हो गया है और लोग खुद कर पुलिस को जानकारी दे रहे हैँ। मंगलवार को गिरफ्तार शशिकांत पांडेय ने भी कई खुलासे किए हैं। 

शशिकांत ने पुलिस को बताया जब विकास के घर के बाहर पुलिस घिर गई तो विकास दुबे, अमर और प्रभात छतों से नीचे उतरे। इन तीनों की आवाज रात के अंधेरे में उसने पहचानी थी। विकास कह रहा था कि आज कोई बचकर न जाने पाए। छतों से नीचे उतरे तीनों ने घेरकर पुलिस पर हमला किया। शौचालय में छिप गए सिपाही पर गोलियां दागीं। पुलिस से घिरे सीओ जब उसके घर में कूदे तो विकास ने अपने गुर्गों के साथ छत से गोलियां चलाईं।

शशिकांत ने पुलिस को बताया कि जेसीबी गांव के बाहर खड़ी थी। उसके पिता प्रेमप्रकाश जेसीबी चलवाकर लाए थे और अपने दरवाजे पर लगाकर रास्ता रोक दिया था। 

हमले का नेतृत्व कर रहा विकास अंजाम से पूरी तरह बेखौफ था। भरोसेमंद गुर्गों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी और हर कोने में तैनात कर दिया। पुलिस के इंट्रोगेशन में शशिकांत ने विकास की पूरी रणनीति का खुलासा कर दिया। उसने बताया कि हमले वाली रात कौन किस छत पर तैनात था। विकास ने अपने दोनों घरों की छतों पर हथियारों से लैस लोगों को लगा दिया था। एक छत पर वह खुद अमर दुबे, अतुल दुबे, दयाशंकर के साथ असलहों का जखीरा लेकर मोर्चा ले रहा था। उसकी दूसरी छत से राम सिंह, अखिलेश मिश्रा, बिपुल दुबे और दो अन्य लोग फायरिंग कर रहे थे। शशिकांत के घर की छत पर उसके पिता प्रेमप्रकाश, गोपाल, हीरू, वह खुद और दो अन्य लोग गोलियां चला रहे थे। मुठभेड़ में मारा गया प्रभात अपने घर की छत पर पिता राजेंद्र, शिवम, बाल गोविंद और एक अन्य शख्स के साथ हथियारों संग मुस्तैद था।

शशिकांत ने पुलिस को बताया कि प्रभात के घर से पुलिस पर पहली गोली चली थी। जेसीबी से रास्ता रोके जाने के कारण पुलिस की गाड़ियां पहले ही खड़ी हो गई थी। पुलिस टीम जेसीबी क्रॉस कर आगे बढ़ रही थी। किसी ने विकास को आवाज लगाई। इतने में ही प्रभात की छत से फायर झोंक दिया गया। इसके बाद चारों ओर से हथियारबंद लोगों ने गोलियां दागनी शुरू कर दीं। पुलिस जब चारों ओर से घिर गई तो दरोगा, सिपाही भागने लगे। पुलिस ने भी बचाव में फायरिंग की। हथियारबंद लोग छतों पर थे, इसके चलते ज्यादा सुरक्षित थे।

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