उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों के साथ हुए एनकाउंटर के संबंध में उठाए गए कदमों के बारे में स्थिति रिपोर्ट दायर करेगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले पैनल की नियुक्ति पर विचार कर सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ अब इस मामले में अब 20 जुलाई को सुनवाई करेगी। कोर्ट में दाखिल याचिका में सीबीआई द्वारा दुबे और उसके पांच सहयोगियों की कथित मुठभेड़ में हत्या की जांच की निगरानी शीर्ष अदालत से करवाने की मांग की गई है।
डीएसपी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में उस समय घात लगाकर हत्या कर दी गई जब वे दुबे को गिरफ्तार करने के लिए जा रहे थे। हमलावरों ने 3 जुलाई की आधी रात को छतों से गोलियां बरसा कर इन पुलिसकर्मियों को मार दिया था।
दुबे 10 जुलाई की सुबह उस समय पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रही पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और दुबे ने भागने की कोशिश की। दुबे की मुठभेड़ से पहले, उसके पांच साथी अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए।
दुबे के मारे जाने से पहले याचिका दायर करने वाले वकील घनश्याम उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस से गैंगस्टर की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश मांगा था। बाद में, दिल्ली के एक वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने एक और याचिका दायर की, जिसने उत्तर प्रदेश में 8 पुलिस कर्मियों की हत्या में पुलिस-अपराधी-राजनेता की साठगांठ की सीबीआई या एनआईए द्वारा जांच की अदालत से निगरानी की मांग की थी।
शीर्ष अदालत में मंगलवार को उपाध्याय, अवस्थी और इस मामले से संबंधित एक अन्य याचिका पर सीजेआई के नेतृत्व वाली पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। इन याचिकाओं के अलावा, उस पुलिस अधिकारी ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है, जिस पर आरोप है कि उसने दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम का खुफिया जानकारी दुबे के लोगों तक पहुंचाई थी। इस आरोप में उसे निलंबित किया जा चुका है और उसे पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मारे जाने का डर सता रहा है। उनकी पत्नी विनीता सिरोही के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उनके पति कृष्ण कुमार शर्मा को “अवैध और असंवैधानिक तरीकों” से मारा जा सकता है।