झारखंड में कोरोना जांच की रफ्तार बढ़ाने के लिए रिम्स के माईक्रोबायोलोजी विभाग के एचओडी डॉ. मनोज कुमार ने नया तरीका निकाला है। इससे न सिर्फ जांच की रफ्तार काफी बढ़ गई है बल्कि जांच की गुणवत्ता भी प्रभावित नहीं होती है।
रिम्स में संचालित दो आरटीपीसीआर की क्षमता एक दिन में दो शिफ्टों में काम करने के बाद कुल 180 जांच करने की है जबकि, रिम्स में गुरुवार को 283 और बुधवार को 270 सैंपल की जांच की गई। औसतन हर दिन जांच की संख्या लगभग यही रहती है। यह तरीका यदि अन्य जांच केंद्रों पर भी अपनाया जाए तो न सिर्फ रिम्स का लोड घट जाएगा बल्कि हर दिन लिए जाने वाले सैंपल की जांच भी उसी दिन पूरी की जा सकेगी।
क्या है पुल जांच
माईक्रो बायोलॉजी के एचओडी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि पुल सिस्टम में पांच-पांच संदिग्धों के सैंपल मिलाकर एक फाईल बनायी जाती है। उदाहरण के तौर पर मान लें कि किसी ऐसे जिले से 100 सैंपल आए हैं जहां अब तक कोई पॉजिटिव नहीं मिला है। इस सिस्टम में उन सभी 100 सैंपलों में से पांच-पांच सैंपलों का मिलाकर 20 फाईल तैयार किए जाएंगे। अब यदि उस 20 फाईलों की जांच में से किसी भी एक फाईल को पॉजिटिव पाया जाता है तो इसका मतलब है कि उस फाईल के पांच में से कोई न कोई सैंपल पॉजिटिव है। इसके बाद उस फाईल में शामिल सभी पांच सैंपलों की अलग अलग जांच कर ली जाती है।