सरकार ने एक्सप्रेस-वे जैसी बड़ी परियोजनाओं को जमीन मिलने में आने वाली बाधा दूर करने करने के लिए मौजूदा व्यवस्था में परिवर्तन कर दिया है। सार्वजनिक उपयोग जैसे नाली, खलिहान या फिर इस तरह की ऐसी अन्य जमीनों परियोजना के लिए देने पर फैसला लेने का अधिकार जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को दे दिया गया है। अभी तक यह फैसला शासन स्तर से होता था, जिससे इसमें काफी समय लग जाता था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन यह फैसला किया है। इसके मुताबिक सार्वजनिक उपयोग की जमीनें अगर बड़ी परियोजनाओं में आ रही हैं तो उसके बदले इतनी जमीन दूसरे स्थान पर देने का फैसला डीएम और मंडलायुक्त स्तर पर ही लिया जाएगा। डीएम 40 लाख रुपये तक की कीमत और मंडलायुक्त इससे अधिक की जमीन परियोजना के लिए देने पर फैसला करेंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 219 के अंतर्गत श्रेणी, परिवर्तन और पुनर्ग्रहण की शक्तियों के लिए दी गई व्यवस्था में संशोधन किया गया है।
मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं में तेजी आएगी। खासकर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना, डेडीकेट फ्रंट कॉरीडोर परियोजना, इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे परियोजना, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं के लिए जल्द जमीन उपलब्ध कराई जा सकेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं राजकीय मेडिकल कॉलेज की स्थापना, राजकीय महाविद्यालय, राजकीय इंटर कॉलेज आदि के लिए जमीन जल्द मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।