बीते दिनों विश्व के एक बड़े हिस्से ने चीन के खिलाफ आवाज बुलंद की है। कोरोना वायरस की तबाही के ऊब चुके कई देश चीन के पूर्ण बहिष्कार की बात भी कर चुके हैं। फ्रांस में ऑरेंज, भारत में जियो और ऑस्ट्रेलिया में टेलस्त्रा ने चीनी फर्मों के साथ काम करने से मना कर दिया। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने दावा किया है कि दुनियाभर के दिग्गज दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ चीनी टेक कंपनी Huawei सौदे लुप्त हो रहे हैं।
इधर, एलएसी पर अतिक्रमण की कोशिश कर चीन भारत की नजरों में और भी चढ़ गया है। हाल में चीन की हरकतों के चलते सीमा पर सैनिकों की झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। ऐसे में अमेरिका भारत के प्रति दोस्ताना व्यवाहार दिखाते हुए यूरोप में अपनी सैन्य उपस्थिति कम कर दक्षिण एशिया में बढ़ा रहा है।
इसका संकेत अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने गुरुवार (25 जून) को ब्रसेल्स फोरम के आभासी सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा। पोम्पियो से पूछा गया था कि अमेरिका ने जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या में कमी क्यों की है। जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, “अमेरिकी सैनिक, जो वहां नहीं थे, उन्हें अन्य स्थानों पर चुनौतियों का सामना करने के लिए ले जाया जा रहा था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की हालिया हरकतों का मतलब है कि भारत और वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस जैसे देशों और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में खतरा बढ़ रहा है। अमेरिकी सेना, हमारे समय की चुनौतियों का पूरी तरह सामना करने के लिए उचित रूप से तैनात है।”
चीन के खतरे के बारे में बोलते हुए, उन्होंने भारत के साथ सीमा पर खूनी टकराव का हवाला देते हुए कहा यह बीजिंग की दक्षिण चीन सागर गतिविधि और उसकी शिकारी आर्थिक नीतियों का सबूत है।