चीन अपने यहां बनने वाले मेडिकल उपकरणों को क्या गलत तरीके से सर्टिफिकेशन करके भारत को आपूर्ति कर रहा है? इस संबंध में तय प्रोटोकॉल का भी पालन सही तरीके से नही किया जा रहा है। कई चरणों मे गुणवत्ता निरीक्षण के प्रावधान के बावजूद चीनी उपकरणों की घटिया क्वालिटी सामने आने से विभिन्न स्तरों पर सवाल खड़े हुए हैं। चीन से टूटते भरोसे के बीच भारत ने मेक इन इंडिया के तहत उत्पादन बढ़ाने और कई अन्य देशों की कंपनियों से संपर्क किया है।
टूट रहा भरोसा
लेकिन चीन से करार करने वाले राज्य सरकारों और निजी कंपनियों का भरोसा टूट रहा है। वहीं, चीन से आयात को लेकर हो रही किरकिरी से केंद्र सरकार भी असहज है। सूत्रों ने कहा व्यापारिक रिश्तों का दबाव दोनों तरफ है। लेकिन भारत ने विभिन्न स्तरों पर स्पष्ट किया है कि गुणवत्ता से जुड़े मुद्दों का समाधान चीन को करना होगा। इस समय व्यापार नहीं जरूरत का मसला है। इसमे गड़बड़ी रिश्तों पर असर डाल सकती है।
पहले भी गड़बड़ी
जानकारों का कहना है कि ये पहली बार नहीं है जब चीन ने गुणवत्ता का वादा किया है लेकिन उसके उत्पाद उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। जांच किट के पहले पीपीई की घटिया गुणवत्ता सामने आई थी। जबकि भारत ने अपने बड़े करार चीनी कंपनियों के साथ ही किये हैं।
जवाबदेही से बच रहा चीन
सूत्रों ने कहा, चीन ने निर्माताओं की अनुमोदित सूची दी है जिनसे खरीद की जा सकती है इसके बावजूद अगर कोई सवाल उठता है तो चीन सरकार को जवाबदेही तय करनी पड़ेगी। हालांकि चीन इस बात से इंकार कर रहा है कि उसके द्वारा अनुमोदित कंपनियों के उत्पाद गड़बड़ हैं।