चीन ने सीमा के पास लगाया तोप, भारत ने भी बढ़ाये सैनिक और हथियार

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन का सैन्य जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। चीनी सेना एलएसी के पास सैन्य शक्ति के निर्माण में जुटी हुई है। वे नियंत्रण रेखा के पास भारी संख्या में तोपों और पैदल सेना को तैनात कर रहे है। वहीं,भारत भी क्षेत्र में सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में बड़ी संख्या में क्लास ए वाहनों को चीनी सेना के पीछे की पोजिशन पर देखा जा सकता है। इन वाहनों को एलएसी के भारतीय तरफ से 25-30 किलोमीटर की दूरी पर तैनात किया गया है।

भारतीय सेना अतिरिक्त सैनिकों के साथ-साथ उपकरण और हथियार भी ले जा रही है। जैसे आर्टिलरी गन हथियार जो कि चीनी बिल्ड-अप से आक्रामक रूप से मेल खाते हैं। वहीं, भारतीय वायु सेना विवादित क्षेत्र में कड़ी हवाई निगरानी कर रही है।भारतीय और चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सभी स्थानों पर बटालियन और ब्रिगेड स्तर पर एक-दूसरे से बात कर रहे हैं, जिसका अभी तक कोई परिणाम नहीं निकाला है। सूत्रों का कहना है कि चीनी जिन स्थानों पर थे, किसी भी पोजिशन से पीछे नहीं हटे हैं। विभिन्न स्थानों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लगातार आमना- सामना हो रहा है।


गत पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई थी। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे। वर्ष 2017 में डोकलाम तिराहा क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत का कहना है कि यह उसका अभिन्न अंग है। चीन, जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन किए जाने और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम की निन्दा करता रहा है। लद्दाख के कई हिस्सों पर बीजिंग अपना दावा जताता है।

डोकलाम गतिरोध के महीनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चीनी शहर वुहान में अप्रैल 2018 में पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन हुआ था। शिखर सम्मेलन में, दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेनाओं को, आपसी विश्वास और समझ के लिए संपर्क मजबूत करने के वास्ते ”रणनीतिक दिशा-निर्देश” जारी करने का फैसला किया था। मोदी और शी के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास मामल्लापुरम में हुआ था, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

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