जौनपुर जिला अस्पताल की व्यवस्था बदहाल, पर्चा बनवाने के लिये बाहर मरीज परेशान एवं अन्दर कर्मचारी लगा रहे गप्पे

आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,

जौनपुर जिला अस्पताल की व्यवस्था बदहाल, पर्चा बनवाने के लिये बाहर मरीज परेशान एवं अन्दर कर्मचारी लगा रहे गप्पे

सभी जांच नि:शुल्क होगी मगर कहां होगी, क्योंकि मशीन तो खराब पड़ी है

 

जौनपुर। अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय में मरीजों का तांता लगा हुआ है। लाइन की पंक्ति में सीनियर सिटीजन एवं आमजन लाइन लगाकर अपना पर्चा बनवा रहा है। एक—दूसरे से धक्का—मुक्की होने के बावजूद भी बने सीनियर एवं विकलांग खिड़कियां बन्द हैं। वहीं कर्मचारीगण अन्दर बैठे गप्पे लगा रहे हैं। उन कर्मचारियों को तनिक भी भनक नहीं कि दूर—दराज से आये बुजुर्ग एवं महिलाएं लाइन में हैं। यदि समय से डॉक्टर ओपीडी से उठ गये तो बेचारों को वापस जान होगा। इतना ही नहीं, जिसने भी पर्चा बनवाने के लिये 2, 5 या 10 रूपया दे दिया तो भीड़ का फायदा उठाते हुये कर्मचारी ने पर्चा दिया। साथ ही बोले— आगे चलो। भीड़ बहुत है, ताकि बचे पैसे न देने पड़े। सूत्रों की मानें जब सरकार द्वारा सभी प्रकार की जांच नि:शुल्क होगी तो ठीक परन्तु जांच होगी कहां? जब लैब की मशीनें की खराब हो। पता चला कि थायराइड की जांच मशीन महीनों से खराब पड़ी है। फिर मरीजों की जांच कैसे हो? यदि किसी ने पूछ लिया कि कैसे हो तो उपलब्ध कर्मचारी बाहर का रास्ता दिखा देते हैं जिसकी सूचना सीएमएस को दी गयी तो उन्होंने असमर्थता जाहिर करते हुये सिस्टम को कोशा और बताया कि कुछेक मशीन तो जब से आयी है तभी से आये दिन ब्रेक डाउन में ही रहती है। दूसरी बात कि लैब आदि जगहों में काम करने वाले कर्मचारी किसी न किसी कम्पनी से अटैच होकर कार्य कर रहे हैं। यह अस्पताल के नहीं है। बताते चलें कि लैब असिस्टेंट के रूप में कार्य करने वाले लोगों के पास अनुभव कितना है या उनके द्वारा किये गये जांच सही है अथवा गलत। इसको प्रमाणित कौन करेगा, क्योंकि लैब की जांच ही किसी के मौत का कारण भी बन सकता है या फिर सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारियों द्वारा जांच की प्रमाणिकता कैसे मापी जाती है? किसी की जांच यदि गलत हुई तो उस जांच के आधार पर दवा चलायी गयी और मरीज की मृत्यु हुई तो उसका जिम्मेदारी कौन लेगा?। क्या खून की जांच हेतु लिये जाने वाले सैंपल प्रक्रिया से मरीज संतुष्ट हैं? क्या उनको जो रिपोर्ट सौंपी जाती है, वह १०० फीसदी सही है? जिला अस्पताल की अनुशासनहीनता, कार्य गलत होना, मरीजों की सही देखभाल या मरीजों के परिजनों को परेशान करना क्या शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय के चिकित्सक, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की जिम्मेदारी नहीं? यदि हैं तो निजी ठेकेदारी पर कार्य कर रहे कर्मचारी है। ऐसा बताकर मरीजों सहित परिजनों को गुमराह क्यों किया जाता है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *