वाराणसी ब्यूरो,
विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) पर विशेष….परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में बढ़ रही रुचि
परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में बढ़ रही रुचि, ‘अंतरा’ बनी महिलाओं की पहली पसंद
अंतरा इंजेक्शन का लाभ लेने वाली महिलाओं की संख्या में साल दर साल हो रहा इजाफा
सुरक्षित और कारगर अस्थायी साधन है अंतरा, लगवाने में बेहद आसान – तीन माह के लिए आराम
अनचाहे गर्भ को रोकने और दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए दंपति दिखा रहे समझदारी
स्वास्थ्य केन्द्रों व आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर मिल रही ‘बास्केट ऑफ च्वाइस’ की जानकारी
वाराणसी, 10 जुलाई 2024 ।
दो बच्चों के बीच में अंतराल लेना हो या फिर परिवार पूरा हो चुका है, ऐसी स्थिति में महिलाओं को परिवार नियोजन के लिए अस्थायी साधनों में से एक ‘अंतरा’ तिमाही गर्भ निरोधक इंजेक्शन खूब भा रहा है। इसी का परिणाम है कि जनपद में साल दर साल अंतरा का लाभ लेने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफ़एचएस) वर्ष 2019-21 के आंकड़ों के अनुसार जनपद में 2.3 प्रतिशत लाभार्थियों ने ‘अंतरा’ इंजेक्शन का लाभ लिया जबकि वर्ष एनएफ़एचएस वर्ष 2015-16 में यह 0.3 प्रतिशत था। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में तीन से चार हजार महिलाएं इसका लाभ लेती थीं जो वर्ष 2024 में बढ़कर 16 हजार से अधिक हो गई है। महिलाओं का मानना है कि अनचाहे गर्भ हो या दो बच्चों के बीच अंतराल रखना हो या फिर परिवार पूरा हो चुका हो, तो ऐसे में अंतरा उनके लिए सुरक्षित, कारगर और आसान साधन है। एक बार इंजेक्शन लगवाने पर तीन माह के लिए आराम रहता है। यदि बच्चे की चाह है तो इसे कभी भी बंद भी किया जा सकता है।
लाभार्थियों ने सराहा –
केस 1 — सेवापुरी ब्लॉक के बबुआपुर निवासी 26 वर्षीय सुनीता (काल्पनिक नाम) ने बताया – “मेरा एक बच्चा है और मैं अभी बच्चा नहीं चाहती हूँ। इसलिए पीएचसी पर ही अंतरा इंजेक्शन की पहली डोज़ डॉक्टर मैडम की देखरेख में लगवायी। मुझे बताया गया कि इस इंजेक्शन को लगवाने से तीन माह तक गर्भ ठहरने से सुरक्षा मिल जाती है। यह इंजेक्शन लगवाना आसान और सुरक्षित है।
केस 2 – काशी विद्यापीठ ब्लॉक के सरहरी निवासी 32 वर्षीय अंजली (काल्पनिक नाम) का परिवार पूरा हो चुका है और अब तक वह अंतरा की छह डोज़ लगवा चुकी हैं। वह बताती हैं कि हमारे गाँव की डॉक्टर मैडम (सीएचओ) प्रिया ने हमे अंतरा के बारे में बहुत सी जानकारी दी। इसके फायदे के बारे में बताया। इस इंजेक्शन के उपयोग से हमे अभी तक कोई दिक्कत नहीं हुई।
सेवापुरी पीएचसी की महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ शालिनी ने बताया कि प्रतिदिन ओपीडी खासकर खुशहाल परिवार दिवस, अंतराल दिवस, पीएसएमए दिवस पर लाभार्थी और दंपत्ति परिवार नियोजन के लिए परामर्श लेने आ रहे हैं। उन्हें समस्त साधनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसके बाद वह अपनी समझदारी से इच्छानुसार साधन का चुनाव करते हैं। सभी साधनों में से पहली पसंद अंतरा इंजेक्शन बनी हुई है। यह तीन माह के अंतराल में लगाई जाता है। इसकी पहली डोज़ प्रशिक्षित स्टॉफ नर्स, सीएचओ या एएनएम द्वारा लगाई जा रही है। यह बेहद सुरक्षित और आसान साधन है। इसके उपयोग से महावारी में तीन माह तक हल्की अनियमितता आ सकती हैँ जो लाभार्थी के लिए नुकसानदेह नहीं है।
काशी विद्यापीठ ब्लॉक के कोरौता आयुष्मान आरोग्य मंदिर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) प्रिया मल्ल का कहना है कि अंतरा इंजेक्शन अंतरा इंजेक्शन किशोरावस्था से 45 वर्ष तक की महिला और ऐसी महिला जो स्तनपान करा रही हो (प्रसव के 6 सप्ताह के बाद) इंजेक्शन लगवा सकती हैं। गंभीर रूप से बीमार महिलाओं को इस इंजेक्शन को नहीं लगवाने की सलाह दी जाती है। इंजेक्शन लगवाने के बाद इसका सकारात्मक प्रभाव दिखने लगता है। यह पीरियड शुरू होने के बाद सात दिनों के अंदर लगाया जाता है। पीरियड देर से आना या फिर बंद हो जाना, सामान्य ब्लीडिंग व अन्य समस्याएं होती हैं, इससे दवाइयों के माध्यम से ठीक किया जाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि रीप्रोडक्टिव हेल्थ में सुधार लाने के लिए परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधनों पर ज़ोर दिया जा रहा है। ग्रामीण समेत शहरी क्षेत्र में भी लाभार्थी और दंपत्ति अपनी समझ के अनुसार साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इसके लिए जिला महिला चिकित्सालय पर परिवार नियोजन परामर्शदाता, सीएचसी-पीएचसी पर स्टाफ नर्स व एएनएम और आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) परामर्श दे रहे हैं। इन सभी समस्त स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। पिछले वर्ष जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा और पुरुष नसबंदी पखवाड़ा में वाराणसी की उपलब्धि प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ थी। इस बार भी बेहतर उपलब्धि के लिए तैयारी की जा रही है।
नोडल अधिकारी व डिप्टी सीएमओ डॉ एचसी मौर्या ने बताया कि सीएचसी-पीएचसी एवं आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर अनचाहे गर्भ को रोकने और दो बच्चों के बीच अंतर रखने को लेकर विभिन्न सुरक्षित और प्रभावी साधन उपलब्ध हैं। इसका ‘बास्केट ऑफ च्वाइस’ नाम रखा गया है। जिनका परिवार पूरा हो चुका है या वह दो से अधिक और बच्चे नहीं चाहते हैं तो वह सीएचसी, पीएचसी और आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर संपर्क कर स्थायी व अस्थायी साधनों का लाभ ले सकते हैं। अंतरा लगवाने पर लाभार्थी महिला को 100 रुपये प्रति डोज़ की प्रोत्साहन राशि मिलती है। जबकि कॉपर टी लगवाने पर 300 रुपये की धनराशि मिलती है।
उपलब्ध है ‘बास्केट ऑफ च्वोइस’ – अस्थायी साधनों में अंतरा के साथ-साथ छाया साप्ताहिक गोली, माला एन, आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली (ईसीपीपी) और कंडोम को शामिल किया गया है। इन साधनों को ‘बास्केट ऑफ च्वाइस’ के रूप में जिला महिला चिकित्सालय समेत ग्रामीण व शहरी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, आयुष्मान आरोग्य केन्द्रों में प्रदर्शित और उपलब्ध किया गया है। लाभार्थी या दंपत्ति को उनकी इच्छानुसार सेवा प्रदान की जा रही है, जिससे वह अनचाहे गर्भ को रोकने और दो बच्चों के बीच अंतर रखकर अपना परिवार सुनियोजित कर सकें।
एक नज़र आंकड़ों पर : वर्ष 2021-22 में जनपद में 7065 अंतरा इंजेक्शन, 26324 छाया, 31326 कॉपर टी और 716189 कंडोम का लाभ लिया। वर्ष 2022-23 में 13358 अंतरा इंजेक्शन, 38182 छाया, 25879 कॉपर टी और 1083273 कंडोम का लाभ लिया। वर्ष 2023-24 में 16728 अंतरा इंजेक्शन, 42036 छाया, 28504 कॉपर टी और 999418 कंडोम का लाभ लिया।